RBI Monetary Policy : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार 10वीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। रेपो दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में बदलाव की संभावना कम है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है। समिति के 6 सदस्यों में से 5 ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया। एमपीसी ने अपने रुख को बदलाव किया और इसे तटस्थ करने का निर्णय किया। मौद्रिक नीति की 10 खास बातें...
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार 10वीं बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा।
वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद मौद्रिक नीति महंगाई को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में सफल रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रुख को बदलकर तटस्थ करने का निर्णय किया।
भारतीय बैंकों की सेहत मजबूत। उन्हें बढ़ते उपभोक्ता कर्ज और क्रेडिट कार्ड बकाये को लेकर सतर्क रहने की जरूरत।
लचीले मौद्रिक नीति ढांचे को 8 साल पूरे हो गए हैं, यह प्रमुख संरचनात्मक सुधार है।
महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े अर्थव्यवस्था में मजबूत गतिविधियों के संकेत दे रहे हैं, बुनियाद मजबूत बनी हुई है।
सकल घरेलू उत्पाद में निवेश का हिस्सा 2012-13 से सबसे ऊंचे स्तर पर।
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान।
घरेलू मांग में सुधार, कच्चे माल की कम लागत और सरकारी नीतियों से विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आ रही है।
सामान्य मानसून के मद्देनजर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना।