एक परिचर्चा पत्र के अनुसार, नियामक ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और इनकी सेवाएं लेने वाली कंपनियों के लिए अधिक पारदर्शी खुलासे की जरूरत का भी सुझाव दिया। सेबी ने इन एजेंसियों के प्रवर्तकों की वित्तीय एवं परिचालन योग्यता में भी सख्ती किए जाने के भी पक्ष में है।
सेबी ने एक अलग आदेश में कहा, 'मौजूदा नियामकीय परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि नियंत्रण हासिल करने के मौजूदा नियमों को अधिग्रहण नियमनों की परिभाषा के अनुरूप ही रखा जाए और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाए।'
रेटिंग एजेंसियों से संबंधित प्रस्तावित प्रावधानों का एसएंडपी, मूडीज और फिच जैसी वैश्विक रेटिंग एजेंसियों पर असर पड़ने की संभावना है क्योंकि इन एजेंसियों की देश में सीधी मौजूदगी के साथ साथ घरेलू रेटिंग एजेंसियों में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।
इसके अलावा ऐसे किसी भी ऐसे अधिग्रहण से पहले सेबी की स्वीकृति लेनी होगी जिसका नियंत्रण पर असर पड़ता हो। सेबी के अनुसार, वित्तीय संस्थानों और अर्थव्यवस्था की रेटिंग तथा वित्तीय शोध के अलावा किसी भी अन्य तरह की गतिविधि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को एक अलग कंपनी के जरिये करनी होगी।