शीर्ष अदालत में दायर शपथपत्र में केंद्र ने कहा है कि कुछ अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर या आयु में छूट देना परीक्षा में बैठ चुके अभ्यर्थियों से भेदभाव करने जैसा होगा। शपथपत्र से कुछ दिन पहले केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि वह 2020 में सिविल सेवा परीक्षा के अपने अंतिम अवसर में न बैठ सके अभ्यर्थियों को एक और अवसर प्रदान करने के पक्ष में नहीं है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अवर सचिव द्वारा दायर शपथपत्र में कहा गया है, इसलिए, याचिकाकर्ता को कोई भी राहत देने, विचार योग्य न होने के साथ ही, इसका परिणाम भविष्य में अन्य अभ्यर्थियों के साथ गंभीर पूर्वाग्रह के रूप में निकलेगा।
शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उन अभ्यर्थियों को एक और अवसर उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है जो महामारी की वजह से पिछले साल अपने अंतिम अवसर में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षाओं में नहीं बैठ पाए थे। मामला न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ के समक्ष आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था। न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई 28 जनवरी को करेगा। (भाषा)