प्राइमरी टीचिंग में करियर बनाएं

डॉ. संदीप भट्ट

शनिवार, 18 मई 2024 (15:01 IST)
एजुकेशन सेक्टर एक ऐसा सेक्टर है जिसमें हमेशा ही ग्रोथ बनी रहती है। इसका अहम कारण है कि हम सभी के जीवन में एजुकेशन बहुत जरूरी है। टीचिंग जॉब्स एक शानदार करियर है। इस फील्ड में आपको सीखते-सिखाते देश और समाज के लिए बहुत कुछ करने का मौका मिलता है। टीचिंग अगर प्राइमरी स्कूल्स की हो तो यह सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बेसिक एजुकेशन अगर किसी की अच्छी हो गई तो वह जीवन में हर सेक्टर में उम्दा कर सकता है।
 
प्राइमरी की शिक्षा के दौरान हम जो भी कुछ सीखते हैं उससे ही हमारी बुनियाद तैयारी होती है। हमारे व्यक्तित्व का निर्माण भी इसी दौरान होता है। यही कारण है कि प्राइमरी एजुकेशन के वक्त बच्चों को अच्छे टीचर मिलना बहुत जरूरी है। आमतौर पर स्कूली लेवल पर पहली से लेकर 5वीं तक की कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने वाले टीचर्स को प्राइमरी टीचर कहा जाता है। प्राइमरी टीचर को बेसिक टीचर भी कहते हैं।
 
हमारे समाज में टीचिंग प्रोफेशन काफी पसंद किया जाता है। इसमें सम्मान के साथ सैलेरी भी अच्छी मिलती है। बहुत से स्टूडेंट्स शिक्षक बनने का सपना देखते हैं। हमारे देश में साल 2022 तक 14.89 लाख स्कूल थे। इनमें 12.18 करोड़ बच्चे प्राइमरी स्कूलों में पढ़ते हैं। देशभर में 42.9 लाख शिक्षक हैं, जो प्राइमरी कक्षाओं में अध्यापन करते हैं।
 
हमारे यहां से प्रशिक्षित प्राइमरी टीचर्स कई खाड़ी मुल्कां में अंतरराष्ट्रीय स्कूलों में पढ़ाते हैं। कनाडा, यूएस और ब्रिटेन जैसे देशों में भी बड़ी संख्या में भारतीय प्राथमिक शिक्षक काम कर रहे हैं। तो आइए आज जानते हैं कि प्राइमरी टीचर कैसे बना जा सकता है। इसके लिए क्या कोर्स करना होता है और किस तरह की योग्यता आवश्यक होती है।
 
कैसे करें शुरुआत
 
प्राइमरी स्कूल टीचर बनने के लिए  12वीं के बाद बीएलएड यो प्राइमरी शिक्षा में डिप्लोमा या फिर बेसिक टीचर्स ट्रेनिंग होना अनिवार्य है। हलांकि कई निजी स्कूलों में ग्रेजुएशन के साथ बीएलएड का कोर्स इसके लिए योग्यता माना जाता है। इस तरह के कोर्सेस में राज्य सरकारों द्वार समय-समय पर जारी प्रवेश प्रक्रिया के अनुसार ही एडमिशन मिलते हैं।
 
इस दौरान आपको चाइल्ड डेवलपमेंट, चाइल्ड साइकोलॉजी, चाइल्ड लर्निंग प्रोसेस,प्रिंसिपल्स ऑफ़ एजुकेशन, इंडियन सोसाइटी, एलेमेन्ट्री एजुकेशन, इनोवेशन एफर्ट्स ऑफ़ एलेमेन्ट्री एजुकेशन, डेवलपमेंट ऑफ लैंग्वेज, रीडिंग, राइटिंग  एबिलिटीज, एंड मैथ्स, साइंस आदि सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते हैं। इंर्टनशिप और प्रैक्टिकल्स भी होते हैं।
 
इसके बाद इन दिनों नौकरी के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट भी पास करने होते हैं। हर साल अनेक राज्यों में वहां  की सरकारें और केंद्र सरकार के द्वारा टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन करते हैं। केंद्रीय अथवा राज्य स्तरीय टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट के बाद आप किसी राज्य में प्राथमिक अध्यापक के रूप में चयनित होने के लिए योग्य हो जाते हैं।
 
इसी तरह  सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट को पास करने के बाद आप देशभर में कहीं भी स्कूली अध्यापक के रूप में काम करने के लिए पात्रता हासिल कर लेते हैं। कुल मिलाकर कहें तो 12वीं के बाद प्राथमिक शिक्षक बनने की राह खुल जाती है। इसके साथ ही 12वीं या स्नातक के साथ एलिमेंट्री एजुकेशन में डिप्लोमा और  टीईटी तथा सीटीईटी जैसी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होना भी बेसिक स्कूल टीचर बनने के लिए अनिवार्य है।
 
कामकाज
 
किसी भी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में शिक्षकों के पास टीचिंग का काम सबसे महत्वपूर्ण होता है। प्राइमरी स्कूल्स में भी यही बात लागू होती है। पहली कक्षा से 4थी या 5वीं क्लास के बच्चों को बुनियादी भाषा कौशल, लेखन, गणित, विज्ञान आदि विषयों की बारीकियां सिखाते हैं। इसके साथ ही प्राइमरी टीचर्स को अपने स्टूडेंट्स में सीखने के प्रति अभिरुचि जगाने का सबसे जरूरी काम भी करना पड़ता है।
 
एक बेसिक स्कूल टीचर अपने स्कूल में बच्चों को अलग-अलग सब्जेक्ट्स को पढ़ाने के अलावा उन्हें लाइफ स्किल्स भी सिखाते हैं। दरअसल, इस लेवल पर बच्चों को जीवन के बुनियादी सबक भी सीखने होते हैं। मसलन कम्युनिकेशन कैसे करना चाहिए, ड्रेस सेंस, लोगों से बर्ताव, अपने दोस्तों और सहपाठियों से मेलजोल, टीम भावना जैसी तमाम बातें भी प्राइमरी टीचर्स ही बच्चों को सिखाते हैं।
 
इस उम्र में बच्चे दुनिया के बारे में जान और सीख रहे होते हैं ऐसे में उनके प्राइमरी टीचर्स की सिखाई बातों से ही उनका भावी व्यवहार तय होता है। वे तमाम हाव-भाव, सामाजिक व्यवहार की छोटी-बड़ी बातें इसी उम्र में सीखते हैं। तो प्राइमरी टीचर्स भले ही वे सरकारी स्कूल में हों या प्राइवेट में, बच्चों को बेसिक टीचिंग के साथ जरूरी तौर पर आचार-व्यवहार भी सिखाते हैं।
 
बच्चों को सिखाना बहुत ही कठिन मगर शानदार काम होता है। बच्चे बिलकुल खाली पन्ने या स्लेट की तरह होते हैं आप एक टीचर बतौर उन्हें जो सिखाएंगे वो वैसा ही सीखेंगे। इसलिए बच्चों को पढ़ाने के लिए बहुत धैर्य की भी आवश्यकता होती है।
 
सैलेरी
 
आजकल के वक्त में प्राइमरी स्कूल टीचर्स की सैलेरी बहुत अच्छी है। सरकारी स्कूलों में संविदा, फिक्स टर्म पर और प्राइवेट स्कूलों में रेग्युलर बेसिस के आधार पर महीने में 15 से 20 हजार रुपए की सैलेरी मिल ही जाती है। हलांकि अगर गर्वनमेंट स्कूल्स में आप नियमित तौर पर नियुक्त होते हैं तो आपको 35 से 50 हजार रुपए प्रतिमाह मिल सकता है।
 
इसी तरह अगर कोई अच्छा प्राइवेट स्कूल मिल जाता है तो वहां भी 30 हजार मासिक सैलेरी मिल सकती है। प्राइवेट स्कूल्स में अनुभव के साथ-साथ आपकी सैलेरी भी बढ़ती जाती है। वहां अगर आपके पास लंबा अनुभव हो जाता है तो  स्कूल से जुड़े हुए एडमिनिस्ट्रेटिव काम भी आपको दिए जा सकते हैं। वहां आपके लिए टीचिंग के  अलावा दूसरे स्कोप्स भी खुले रहते हैं।
 
निजी और सरकारी सेक्टर्स में जॉब्स
 
प्राइमरी टीचिंग के फील्ड में जॉब्स बहुत हैं। आए दिन किसी भी लोकल न्यूजपेपर को अगर आप देखेंगे तो वहां आपको स्कूल के ढेरों विज्ञापन दिखेंगे जिनमें प्राइमरी टीचर्स की जरूरत होती है। आजकल प्राइवेट और सरकारी दोनों ही स्कूलों में बेसिक टीचर्स की नौकरियां निकलती रहती हैं। प्राइवेट स्कूलों में तो हमेशा ही अवसर बने रहते हैं। राज्य सरकारें शिक्षकों की भर्ती अपने चयन बोर्ड्स आदि संस्थाओं के माध्यम से करती हैं। इसके अलावा केंद्रीय विद्यालय तथा सरकारी रेसिडेंशियल स्कूलों की अपनी खुद की विशिष्ट नियुक्ति प्रक्रिया होती है।
 
जहां तक निजी स्कूल्स की भर्तियों की बात है तो ये स्कूल्स भी अलग-अलग तरह के होते हैं और उनमें प्राइमरी टीचर्स की भर्ती भी बिलकुल अलग तरह से होती है। अच्छे प्राइवेट स्कूल्स में तो प्राइमरी लेवल पर सब्जेक्ट टीचर्स के अलावा एक्टिविटी टीचर्स या कोच की जॉब्स भी निकलती हैं।
 
फॉरेन लैंग्वेज एक्सपर्ट्स भी इन स्कूलों में प्राइमरी सेक्शंस के लिए नियुक्त किए जाते हैं। देश में कई बेहतरीन प्राइवेट रेसिडेंशियल स्कूल्स हैं, जो अपने यहां अच्छे प्राइमरी टीचर्स को जॉब देते हैं। इन स्कूलों में ऐसे दंपत्ति को प्राथमिकता देते हैं, जो दोनों ही लोग टीचिंग करते हों।
 
ऐसे में अगर आप देखें तो आपके पास एक प्राइमरी टीचर्स होने के चलते प्राइवेट और गवर्नमेंट दोनों ही सेक्टर्स में काम करने के अच्छे खासे अवसर मौजूद रहते हैं।
 
फ्यूचर स्कोप्स
 
जहां तक प्राइमरी या बेसिक एजुकेशन में शिक्षण की नौकरी मिलने के बाद भविष्य की बात है तो अगर इसमें आप काफी स्कोप मौजूद है। अगर आप सरकारी स्कूल में शिक्षक लगते हैं तो आप एक तय समय बाद विद्यालय के प्रमुख शिक्षक याने हेडमॉस्टर बन सकते हैं। थोड़ा और अनुभव होने पर आप टीचर्स ट्रेनर बनकर जिला स्तरीय संस्थानों में काम कर सकते हैं।
 
प्राइवेट स्कूलों से जुड़ने के बाद आपके एक्सपीरियंस और क्षमता के अनुसार आपको स्कूल मैनेजमेंट की जिम्मेदारियां भी मिलती हैं। कई बार तो स्कूल प्रिंसिपल या मैनेजर भी बनाया जा सकता है। इसमें सैलेरी के साथ प्रमोशन भी मिलता है।
 
सरकारी स्कूली सिस्टम में भी प्रमोशंस मिलते हैं और अगर आप अपनी एजुकेशन बढ़ा लेते हैं तो आपको हायर ग्रेड के स्कूल टीचर बतौर आगे बढ़ने के अवसर भी मिल सकते हैं। तो अगर आपको भी टीचिंग करना पसंद है और इस फील्ड में कुछ हटकर करना चाहते हैं तो प्राइमरी टीचर बनकर आप बच्चों के भविष्य की दिशा तय करने में अहम भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं।

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