उम्मीदों से परे पाकिस्तान के फाइनल में पहुँचने से जहाँ एक तरफ सब लोग हैरान थे, वहीं ट्वेंटी-20 विश्वकप कवर कर रहे मीडिया में थोड़ी अफरा-तफरी फैल गई थी।
सुपर 8 के मुकाबले तक पाकिस्तान से गिनेचुने पत्रकार ही लंदन में जमा थे और विश्वकप की रिपोर्टिंग कर रहे थे। मसाला क्रिकेट में इस बार पाकिस्तान की टीम को कमतर करके आँका जा रहा था, लेकिन अचानक फाइनल में पहुँच जाने के बाद पाकिस्तान का मीडिया भी हतप्रभ था और आनन-फानन में वहाँ के दर्जनों पत्रकार सीधे लंदन पहुँच गए।
चूँकि विश्वकप के दौरान सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए थे, इसलिए अचानक आ पहुँचे पत्रकारों के लिए मुश्किल भी हो रही थी। मीडिया के लिए इस बार खास तरह के कार्ड बनाए गए थे, जिनमें न सिर्फ विश्वकप कवर कर रहे पत्रकारों की तस्वीरें लगी थीं, बल्कि इन्हें बाकायदा स्कैन करके ही स्टेडियम के अंदर पहुँचा जा सकता था।
फाइनल कवर करने आए एक पत्रकार ने बताया कि किस तरह मीडिया कार्ड न होने से उन्हें दिक्कत हो रही थी और फाइनल से पहले वे किसी तरह एक पास ‘जुगाड़’ करने की कोशिश में लगे रहे।
'क्रिकेट का मक्का' कहा जाने वाला लॉर्ड्स ग्राउंड अगर बेमिसाल है तो इसका 'प्रेस बॉक्स' भी कम खूबसूरत नहीं। अंडाकार शक्ल का प्रेस बॉक्स अलग पहचान रखता है, जिसे 1999 के विश्वकप से पहले तैयार किया गया।
मीडिया से जुड़े लोगों की संख्या अचानक बढ़ जाने के बाद प्रेस बॉक्स भी छोटा पड़ने लगा तो इसके नीचे एक और छोटी-सी जगह तैयार कर दी गई। वैसे इस विश्वकप में हर जगह उम्मीद से ज्यादा मीडिया पहुँचा और हर ग्राउंड पर उनके लिए अलग से इंतजाम करना पड़ा।
रविवार के दिन लॉर्ड्स के आसपास टिकट और बेटिकट लोगों की भीड़ सुबह से ही लगने लगी थी। पाकिस्तान और श्रीलंका दोनों देशों के झंडे लहराए जा रहे थे लेकिन दर्शकों को लंबा इंतजार करना पड़ा क्योंकि पुरुषों के फाइनल से पहले इसी पर महिलाओं का भी पहला ट्वेंटी-20 विश्वकप फाइनल खेला गया, जिसमें मेजबान इंग्लैंड की टीम न्यूजीलैंड को हराकर विश्व विजेता बनी।