भारतीयों का मजाक उड़ाया बकनर ने

शुक्रवार, 4 जनवरी 2008 (13:59 IST)
अपने गलत फैसलों के कारण कई बार भारतीयों को बैकफुट पर भेजने वाले कैरेबियाई अंपायर स्टीव बकनर ने एक बार मैदान पर ही पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ का मजाक उड़ाकर भारतीय खिलाड़ियो की त्योरियाँ चढ़ा दी थी।

संयोग से यह घटना भी चार साल पहले सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन बकनर ने अपने गलत फैसलों से भारतीय गेंदबाजों की मेहनत पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

बकनर ने जनवरी 2004 में एससीजी पर खेले गए मैच में न सिर्फ भारतीयों की कई अपीलों को नजरअंदाज करके ऑस्ट्रेलिया को मैच बचाने में मदद की थी, बल्कि द्रविड़ जब बल्लेबाजी के क्रीज पर उतरे तो वह उनकी 'मिमिक्री' करने से भी नहीं चूके।

द्रविड़ के मैदान पर प्रवेश करते ही बकनर ने मखौल उड़ाने के अंदाज में गेंद पर अँगुलियाँ फेरनी शुरू कर दी। टेलीविजन के कैमरे चौकस थे और उन्होंने इस 'सम्मानीय अंपायर' की इस हरकत को कैद कर दिया।

बाद में भारतीय टीम के तत्कालीन मैनेजर शिवलाल यादव ने त्रिकोणीय श्रृंखला के दौरान उस मैच के मैच रेफरी और वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्लाइव लॉयड से इसकी शिकायत की थी।

असल में इससे पहले ब्रिस्बेन टेस्ट मैच में द्रविड़ को गेंद से छेड़छाड़ करने 'मीठी जेली लगाने' का आरोप लगा था और उनकी मैच फीस का 50 प्रतिशत हिस्सा काट दिया गया था।

फुटबॉल के रेफरी रह चुके बकनर ने तब अपने बचाव में कहा था कि वह ओवरों के बीच में गेंद की जाँच करते रहते हैं। हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया कि तब वह यह भी जाँच रहे थे कि कहीं गेंद पर कोई बाहरी चीज तो नहीं लगाई गई है।

वेस्टइंडीज के इस अंपायर ने कहा था कि मैं हमेशा ओवरों के बीच में गेंद की जाँच करता हूँ। मैंने गेंद के दोनों तरफ इसलिए हाथ फेरा कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है। मैं यह भी देख रहा था कि कहीं कोई बाहरी चीज तो इस पर नहीं लगायी गयी है।

मोंटेगो बे में 31 मई 1946 को जन्में बकनर इससे पहले और बाद में भारतीयों को अपने फैसलों से आहत करते रहे। वह कभी हाई स्कूल में गणित के अध्यापक थे लेकिन भारत के खिलाफ अक्सर उनका गणित गलत बैठ जाता था।

बकनर ने पहली बार 1992-93 में जोहान्सबर्ग में भारत को निराश किया। तब दक्षिण अफ्रीका का स्कोर पाँच विकेट पर 73 रन था और जोंटी रोड्स रन आउट हो गए थे। बकनर ने उन्हें नाटआउट दे दिया।

रवि शास्त्री तब मिड आन पर क्षेत्ररक्षण कर रहे थे। उनके शब्दों में मैंने बकनर से कहा कि तीसरे अंपायर को रेफर कर दो लेकिन वह नहीं माने। रीप्ले से साफ हो गया कि रोड्स तब आउट थे, जिन्होंने बाद में दक्षिण अफ्रीका को हार से बचान दिया।

तेंडुलकर के खिलाफ तो बकनर ने कई बार गलत फैसले दिए। 1999 में कोलकाता में शोएब अख्तर ने इस स्टार बल्लेबाज को क्रीज में आने से रोक दिया था। बकनर ने इस पर ध्यान नहीं दिया और तीसरे अंपायर को फैसला देने के लिये कहा। लाल बत्ती जलते ही कोलकाता के दर्शकों ने धैर्य खो दिया था।

ब्रिस्बेन में 2004 में उन्होंने तेंदुलकर को जैसन गिलेस्पी की गेंद पर तब पगबाधा आउट दे दिया था जब गेंद उनके घुटने पर लगी थी और ऑफ स्टंप से बाहर जा रही थी। इसके बाद सिडनी में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पगबाधा की कई अपील ठुकराई। तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने तब आईसीसी को अपनी रिपोर्ट में बकनर के खिलाफ कड़ी टिप्पणियाँ करके उन्हें बहुत बेकार रेटिंग दी थी।

भारतीय टीम 2004 में जब पाकिस्तान दौरे पर गयी तो लाहौर मैच में बकनर ने चार बार भारतीयों की विश्वसनीय अपीलें ठुकरा दी। तत्कालीन कोच जान राइट ने बाद में मैच रेफरी रंजन मदुगले से इसकी शिकायत की थी।

पाकिस्तान के खिलाफ ही कोलकाता में 2005 में उन्होंने तेंदुलकर और द्रविड़ की कम रोशनी की अपील ठुकरा दी और कुछ देर बाद अब्दुल रज्जाक की गेंद पर सचिन को विकेट के पीछे कैच आउट दे दिया। तब गेंद उनके बल्ले से लगकर नहीं गयी थी।

अब सिडनी में उन्होंने एंड्रयू साइमंड्स को दो बार जीवनदान देकर ऑस्ट्रेलिया को वापसी करने का मौका दिया। बकनर ने एक बार कहा था कि मैं फैसले लेने में जल्दबाजी नहीं करता हूँ। मैं अपने स्वभाव के अनुसार फैसला देने में समय लेता हूँ, लेकिन सिडनी में उन्होंने अपील होते ही फट से 'न' कर दी थी।

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