भारत सिडनी में सवासेर

शराफत खान

शनिवार, 5 जनवरी 2008 (08:49 IST)
सिडनी टेस्ट में शुरुआत में लड़खड़ाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिये 463 रनों का स्कोर कर लिया था। एंड्रयू सायमंड, ब्रेड हॉग और ब्रेट ली ने ऑस्ट्रेलिया को मजबूत कर दिया था, लेकिन भारत की तरफ से वीवीएस लक्ष्मण, सौरव गांगुली, सचिन तेंडुलकर, हरभजन सिंह ने ऑस्ट्रेलिया को बल्ले से करारा जवाब दिया। ऑस्ट्रेलियाई 463 रन बनाकर अगर खुद को सेर समझ रहे थे तो भारतीय टीम भी 532 रन बनाकर उन पर सवासेर साबित हुई।

गांगुली हालाँकि अपने अर्धशतक को शतक में नहीं बदल पाए, लेकिन उनकी पारी ने भारत को ऑस्ट्रेलिया पर हावी कर दिया। बाद में सचिन तेंडुलकर और हरभजन सिंह के बीच हुई साझेदारी ने भारत को मैच में न केवल सुरक्षित कर दिया, बल्कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने की स्थिति में भी आ गई। सचिन का 38वाँ शतक यादगार रहा,जिसकी बदौलत भारत ऑस्ट्रेलिया पर बढ़त ले पाया।

आज जब खेल शुरू हुआ तो गांगुली-सचिन ने चौथे विकेट के लिए 108 रन जोड़े। इन दोनों बल्लेबाजों ने कंगारू गेंदबाजों के हर हथकंडे को नाकाम कर दिया। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज खासकर मिशेल जानसन, स्टूअर्ट क्लार्क और ब्रेड हॉग ने प्रयोग किए, लेकिन इसका भारतीय बल्लेबाजों पर कोई असर न हुआ। ब्रेट ली ने बेहतरीन गेंदबाजी की और पाँच विकेट अपनी झोली में डाले।

हरभजन सिंह के आउट होने के बाद सचिन को स्ट्राइक अपने पास रखनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने आरपी सिंह और इशांत शर्मा को खेलने का ज्यादा मौका दिया। इशांत शर्मा और सचिन ने दसवें विकेट के लिए 31 रन जोड़े, जिनमें से 23 रन इशांत ने बनाए और सचिन का योगदान सिर्फ 8 रनों का रहा और वह भी बेहद रक्षात्मक अंदाज में बने। ऐसे समय जबकि सिर्फ एक विकेट शेष हो, सचिन ने खुद आक्रामक होने के बजाए इशांत को स्ट्राइक पर रखा। इसके पीछे सचिन का मकसद नाबाद पैवेलियन लौटना हो सकता है। यदि सचिन आक्रामक होकर खेलते तो भारत की लीड 69 से भी ज्यादा हो सकती थी।

यहाँ सचिन की आलोचना करने का कोई इरादा नहीं है, सचिन ने निश्चित तौर पर एक महान पारी खेली और उनकी पारी की बदौलत ही भारत सिडनी टेस्ट में हावी हो पाया है, लेकिन इतने महान खिलाड़ी से उम्मीद होती है कि वह सिर्फ शतक बनाकर ही न रुक जाए बल्कि कुछ ऐसा करे कि वह महान से महानतम बन जाए।

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