सर्वश्रेष्ठ के करीब भी नहीं फटक पाए भारतीय

भारतीय कप्तान महेंद्रसिंह धोनी से लेकर पूर्व क्रिकेटर तक भले ही यह मानते हों कि टीम ने आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्व कप में अपनी तरफ से बेहतरीन प्रयास किया, लेकिन आँकड़े कहते हैं कि कोई भी खिलाड़ी इंग्लैंड में खेली जा रही इस चैंपियनशिप में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के करीब तक नहीं फटक पाया।

आँकड़ों से पता चलता है कि पिछले चैंपियन भारत का सुपर आठ में तीनों मैच हारकर बाहर हो जाने का मुख्य कारण चोटी के खिलाड़ियों का अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाना और विशेषकर बल्लेबाजी में असफल रहना रहा।

अब कप्तान धोनी को ही ले लीजिए। इंग्लैंड जाने से पहले उनके नाम पर 13 मैच में 23.88 की औसत से 215 रन दर्ज थे और उनका स्ट्राइक रेट 103.86 था लेकिन विश्व कप के पाँच मैच में वे 21.50 की औसत से केवल 86 रन बना पाए और उनका स्ट्राइक रेट 100 से भी कम 96.62 रहा। धोनी ने अपने ओवरऑल ट्वेंटी-20 करियर में 52 मैच में 90 चौके और 37 छक्के लगाए, लेकिन विश्व कप में वे केवल चार चौके और एक छक्का ही जमा पाए।

कप्तान का प्रदर्शन अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनता है, लेकिन ट्वेंटी-20 विश्व कप में धोनी की सेना ने भी अपने सेनानायक का ही अनुसरण किया। युवराजसिंह कुछ हद तक अपवाद कहे जा सकते हैं, जिन्होंने अपनी पिछली लय बनाए रखी। बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने पाँच मैच में 153 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट 154.54 रहा जो कि टूर्नामेंट से पहले के दस मैच में उनके 164.77 के स्ट्राइक रेट से थोड़ा कम है।

आईपीएल में दो हैट्रिक बनाने वाले युवराज को विश्व कप में केवल पाँच ओवर करने को मिले। यही बात रोहित शर्मा के लिए कही जा सकती है जिन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अंतिम मैच में गेंद सौंपी गई जबकि उन्होंने अभी तक अपने ट्वेंटी-20 करियर में 20 विकेट लिए हैं जिसमें आईपीएल की हैट्रिक भी शामिल है।

रोहित पर विश्व कप में पारी का आगाज करने का दबाव दिखा क्योंकि आईपीएल में उन्होंने मध्यक्रम में अच्छा प्रदर्शन किया था और कई यादगार पारियाँ खेलकर डेक्कन चार्जर्स को खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। रोहित ने भी सभी पाँच मैच खेले और 32.75 की औसत से 131 रन बनाए। टूर्नामेंट से पहले उन्होंने आठ मैच खेले थे उसमें उन्होंने 35.66 की औसत से रन बनाए थे लेकिन दोनों में उनका स्ट्राइक रेट लगभग 122 रहा। ट्वेंटी-20 में उनका ओवरआल स्ट्राइक रेट हालाँकि 131.65 है।

सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर असफल रहने वाले बल्लेबाजों में शामिल रहे। वह इस छोटे प्रारूप के भी बेहतरीन बल्लेबाज हैं, लेकिन पाँच मैच में 148 रन बनाकर वह अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए। उनका स्ट्राइक रेट 109.62 रहा जो कि टूर्नामेंट से पहले के उनके स्ट्राइक रेट (126.64) से काफी कम है।

तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले सुरेश रैना की असफलता टीम पर बहुत भारी पड़ी जो पाँच मैच की चार पारियों में केवल 20 रन बना पाए। उनका स्ट्राइक रेट भी 68.96 रहा। चयनकर्ताओं ने रैना पर इसलिए विश्वास जताया था क्योंकि इससे पहले उन्होंने 126.92 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे और आईपीएल में भी अच्छी पारियाँ खेली थी।

यदि गेंदबाजों की बात की जाए तो तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा फिर से सुपर फ्लॉप रहे। इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि टेस्ट मैचों में खासा सफल रहने वाला दिल्ली का यह गेंदबाज अब तक नौ ट्वेंटी-20 मैच में केवल चार विकेट ले पाया है।

ईशांत ने अभ्यास मैचों में अच्छा प्रदर्शन करके आस जगाई थी लेकिन टूर्नामेंट के पाँच मैच में वह केवल दो विकेट ले पाए।

यही नहीं, उन्होंने प्रति ओवर आठ से भी अधिक रन लुटाए। इससे पहले भी उन्होंने चार मैच में केवल दो विकेट लिए थे। आईपीएल में उन्होंने 11 मैच में 11 विकेट लिए थे, जिससे शायद चयनकर्ताओं ने उन्हें मौका दिया।

जहीर खान ने सात विकेट जरूर लिएलेकिन वह केवल आयरलैंड के खिलाफ ही प्रभाव छोड़ पाए। यही नहीं उनका इकोनामी रेट 8.38 रहा जबकि टूर्नामेंट के पहले के चार मैच में यह इससे बेहतर 6.18 था। आरपी सिंह को केवल दो मैच में मौका दिया गया जो कि गलत फैसला माना जाएगा क्योंकि वह आईपीएल में सफल रहे थे। इरफान पठान भी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे और उन्होंने तीन मैच में केवल एक विकेट लिया।

हरभजन सिंह ने पाँच मैच में 26.20 की औसत से पाँच विकेट लिए जबकि इंग्लैंड जाने से पहले उनके नाम पर ट्वेंटी- 20 अंतरराष्ट्रीय में 23.81 की औसत से 11 विकेट दर्ज थे।

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