पिछले डेढ़ दशक से समय समय पर क्रिकेट जगत को थर्राने वाले मैच फिक्सिंग की ‘भद्रजनों के खेल’ में शुरुआत आज से लगभग 200 साल पहले हो गई थी और तब एक खिलाड़ी पर बाकायदा प्रतिबंध भी लगाया गया था।
पाकिस्तान के क्रिकेटर इंग्लैंड दौरे में स्पॉट फिक्सिंग में लिप्त पाए गए हैं, जिससे क्रिकेट की विश्वसनीयता पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। क्रिकेट पहले भी इस तरह के संकट में पड़ा था और सबसे पहले 1817 से 1820 के आसपास इस खेल की अखंडता खतरे में पड़ती नजर आई थी।
यह वह जमाना जबकि सिंगल विकेट क्रिकेट भी खेली जाती थी और तब इस तरह के मैचों पर सट्टा लगाना आसान होता था। इतिहासविद डेविड अंडरडाउन ने अपनी किताब ‘स्टार्ट ऑफ प्ले...क्रिकेट एंड कल्चर इन एटीन्थ सेंचुरी इंग्लैंड’ में लिखा है कि असल में सिंगल विकेट क्रिकेट में पूरे 11 खिलाड़ी नहीं होते थे और इसलिए उन्हें फिक्स करना आसान था।
अंडरडाउन के अनुसा लोग हमेशा क्रिकेट पर सट्टा लगाते थे विशेषकर ड्यूक, राजा और लार्डस जो देश चलाते थे, लेकिन बेईमानी या किसी हद तक मैच फिक्सिंग के कुछ आरोप भी लगे थे।
उस जमाने के दिग्गज बल्लेबाजों में विलियम बेलडैम (सिल्वर बिली) भी शामिल थे। उनसे लंदन में तब एक सटोरिये ने कहा था कि यदि आप मेरी बात मानोगे तो बड़ा पैसा बना सकते हो। बाद में बिली ने इस पर कहा था कि वह तो झांसे में नहीं आए लेकिन कई अन्य थे जो इन लोगों (सटोरियों) की बात मान लेते थे।
नॉटिंघम की तरफ से खेलने वाले लैंबार्ट पर आरोप लगा था कि उन्होंने उस मैच में जानबूझकर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। लैंबार्ट के ही साथी फ्रेडरिक बियुक्लर्क ने इसकी शिकायत एमसीसी से की जिसने लैंबार्ट को लार्डस में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया था।
लैंबार्ट दुनिया के पहले ऐसे क्रिकेटर थे जिन पर मैच फिक्सिंग के लिये प्रतिबंध लगा था। वह पहले ऐसे बल्लेबाज भी थे जिन्होंने पहली बार एक मैच की दोनों पारियों में शतक जमाया था। मई 1817 में बनाया गया उनका यह रिकॉर्ड 76 साल तक उनके नाम पर रहा था। उन्होंने अपने करियर में कुल 64 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिनमें उन्होंने 3013 रन बनाए।
इंग्लैंड और नॉटिंघम के बीच ‘फिक्स’ हुए उस मैच के बारे में कहा जाता है कि दोनों टीमों के कुछ खिलाड़ियों ने जानबूझकर अपने विकेट गँवाए, कैच टपकाए और यहाँ तक कि ओवर थ्रो से रन दिए। इसी तरह के एक ओवर थ्रो को बचाने के प्रयास में बियुक्लर्क की अँगुली चोटिल हो गई थी।
एमसीसी ने इसके बाद मैच फिक्सिंग को लेकर कुछ कड़े कदम उठाए थे और 1820 में लॉर्ड्स में सटोरियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस घटना के बाद मैच फिक्सिंग की अगली घटना का जिक्र 1873 में मिलता है, जब सरे के खिलाड़ी टेड पूली ने यॉर्कशायर से हारने के लिए 50 पौंड लिए थे। सरे ने पूली को तब निलंबित कर दिया था। (भाषा)