हरमनप्रीत कौर ने क्यों लिया 'फर्जी डिग्री' का सहारा?

सीमान्त सुवीर
भारतीय महिला क्रिकेट के मसाला क्रिकेट (टी-20) की कप्तान आज 'नायिका' से 'खलनायिका' बन गईं...फर्जी ग्रेज्युशन की डिग्री ने एक झटके में उनके सीने पर सजी पंजाब पुलिस की 'डीएसपी' की वर्दी निकाल डाली...जिस डिग्री पर कभी रेलवे ने कभी ध्यान नहीं दिया, उसी डिग्री का जब पंजाब पुलिस द्वारा सत्यापन किया गया तो पता चला वह नकली है। बस, इसी ने उन्हें 'अर्श से फर्श' पर ला दिया है।

 
हरमनप्रीत कौर देश की ऐसी महिला क्रिकेट स्टार हैं, जिन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं। उन्होंने खुद के बूते पर अपनी पहचान बनाई और भारतीय महिला क्रिकेट को ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जिसकी वजह से टी-20 फॉर्मेट में उनके सिर पर कप्तान की 'कैप' सजी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पद पाने के लिए उन्होंने झूठी डिग्री का सहारा क्यों लिया?
 
देश के कई महान क्रिकेट स्टार हैं, जिनके पास ग्रेज्युएशन की डिग्री तक नहीं है लेकिन उन्होंने अपने खेल के बूते पर दुनिया भर में भारतीय क्रिकेट का नाम रोशन किया है। दूसरी तरफ कुछ क्रिकेटर ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी डॉक्टरी डिग्री बीच में छोड़ी तो कुछ इंजीनियर तक बने। और कुछ तो एमबीए तक करने में कामयाब हुए। 
जो क्रिकेटर 12वीं तक पढ़े उनमें सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, शिखर धवन शामिल हैं। महेंद्रसिंह धोनी कॉमर्स ग्रेज्युएट (बीकॉम) तक पढ़े हैं और उन्हें इंग्लैंड में डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्रदान की गई है। भारतीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके राहुल द्रविड़ ने सेंट जोसफ कॉलेज से एमबीए किया, जबकि वीवीएस लक्ष्मण ने क्रिकेट की वजह से एमबीबीएस की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। 
 
अनिल कुंबले मैकेनिकल इंजीनियर बने तो दूसरी तरफ जहीर खान भी इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपना करियर क्रिकेट में बनाया। सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर पढ़े-लिखे क्रिकेटरों में शुमार किए जाते हैं, जिन्होंने अपना ग्रेज्युएशन पूरा किया।
 
हरमनप्रीत कौर ने भी इन्हीं स्टार क्रिकेटरों को खेलते देखते हुए अपने क्रिकेट जुनून के बूते पर क्रिकेट में नाम कमाया है। फर्श से वे अर्श तक पहुंचीं लेकिन एक छोटी-सी झूठी जानकारी ने उन्हें एक बार फिर अर्श से फर्श पर ला पटका है। पंजाब पुलिस का साफ कहना है कि अब हरमनप्रीत डीएसपी तो नहीं रहेंगी अलबत्ता कांस्टेबल के पद पर बनी रह सकती हैं।
1 मार्च 2018 को ही हरमनप्रीत को पंजाब के मुख्यमंत्री पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने उनकी वर्दी पर 'स्टार' लगाकर 'डीएसपी' का सम्मान दिया था। हरभजनसिंह के बाद वे पंजाब पुलिस में खेल कोटे से डीएसपी बनने वाली दूसरी क्रिकेटर बनी थीं। 
 
जिस पुलिस महकमे में हरमनप्रीत ठसके से सहकर्मियों के सैल्यूट का जवाब देती थीं, अब उसी महकमे में उन्हें सैल्यूट ठोंकना होगा। इस पूरे एपिसोड में खुद हरमनप्रीत खामोश हैं और लगता नहीं है कि उस कांस्टेबल पद को स्वीकार करेंगी, जिसके लिए उन्होंने अपनी जूतियां तक घिस डाली थीं। कांस्टेबल से डीएसपी पद तक पहुंचने की दास्तां जानने के लिए हमें कई साल पीछे लौटना होगा...
 
हरमनप्रीत कौर की हैरतभरी जिंदगी का रोमांचकारी सफर 
8 मार्च 1989 में पंजाब के मोंगा में हरमंदरसिंह भुल्लर की पत्नी सतिंदर कौर ने जिस लड़की को जन्म दिया, उसका नाम रखा गया हरमनप्रीत कौर...बचपन से ही वह अपने पिता को क्रिकेट खेलते देखा करती थी, लिहाजा उसके मन में भी क्रिकेटर बनने का सपना आकार लेने लगा। हरमनप्रीत के पिता ही उनके पहले कोच बने। तंगहाली के कारण हरमंदरसिंह क्रिकेट की दुनिया में वह मुकाम हासिल नहीं कर सके, जो मुकाम उनकी बेटी ने हासिल किया।
 
 
वीरेंद्र सहवाग की सलाह काम आई : शुरुआत में हरमनप्रीत लड़कों के साथ पंजाब के मोंगा में क्रिकेट खेला करती थीं। जब स्कूल पहुंचीं तो उनके क्रिकेट जुनून को देखकर प्रिंसिपल ने लड़कियों की क्रिकेट टीम बना डाली। बस, यही प्लेटफार्म उनके पंखों को खुले आसमान में उड़ने का अवसर प्रदान कर गया। वीरेंद्र सहवाग की वह बात उन्होंने गांठ बांध ली थी कि 'बॉल को देखो और उस पर हिट करो'।
छोटे लक्ष्य से आगे बढ़ने का सफर : हरमनप्रीत ने अपनी जिंदगी में छोटे लक्ष्य रखे और उन्हें हासिल करती चली गईं। पहले वे पंजाब से खेलीं और फिर 2009 में उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की जर्सी पहनीं। इसी साल अपने खेल के बूते वे भारत की महिला टी-20 टीम में भी शामिल की गईं, जबकि 'टेस्ट कैप' 2014 में पहनीं। भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने के बाद सबसे पहली जरूरत नौकरी की थी।
 
 
जब पंजाब पुलिस से दुत्कार मिली : हरमनप्रीत को पुलिस की वर्दी हमेशा आकर्षित करती थी। खेल के साथ-साथ उम्र भी बढ़ती जा रही थी। जब 25 के करीब पहुंच रही थीं तब उन्होंने पंजाब पुलिस में खेल कोटे के तहत हेड कांस्टेबल बनने के लिए कई चक्कर लगाए, लेकिन वहां से उन्हें दुत्कार ही मिली। नौकरी के लिए कहीं आयु सीमा पार न हो जाए, लिहाजा उन्होंने भारतीय रेलवे में क्लर्क बनने का समझौता कर डाला। वैसे भी रेलवे में कई धुरंधर खिलाड़ी थीं, इसलिए उनका खेल भी निखरता चला गया।
नाबाद 175 रन ठोंककर दिलाई थी कपिल देव की याद : 2017 का साल हरमनप्रीत कौर के साथ ही भारतीय महिला क्रिकेट की किस्मत को चमका गया। हरमनप्रीत कौर ने आईसीसी विश्व कप महिला क्रिकेट में एक पारी खेलकर (ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 175 रन) हर भारतीयों का दिल जीत लिया, जबकि टीम इंग्लैंड के हाथों महज 9 रन से हारने के साथ ही चैंपियन बनने से चूक गई थी। याद रहे कि कपिल देव ने भी 1983 के विश्व कप में जिम्बॉब्वे के खिलाफ नाबाद 175 रनों की पारी खेली थी।
 
 
19 करोड़ भारतीयों ने देखा था महिला क्रिकेटरों का जलवा : भारतीय महिला क्रिकेट टीम इंग्लैंड में आयोजित आईसीसी विश्व कप में खेलने उतरी और उसने फाइनल तक कोई मैच नहीं हारा। उनकी इस कामयाबी को देश में 19 करोड़ लोगों ने देखा। भारत लौटते ही टीम का अभूतपूर्व स्वागत इसलिए हुआ, क्योंकि उन्होंने विश्व कप का फाइनल भले ही 9 रन से हारा हो, लेकिन दिल जीतने में कोई कमी नहीं रखी। 
 
महिला क्रिकेटरों पर हुई थी धनवर्षा : विश्व कप में उपविजेता रहने वाली भारतीय टीम पर जमकर धनवर्षा हुई। बीसीसीआई ने 50-50 लाख रुपए, महाराष्ट्र सरकार ने अपने राज्य की खिलाड़ियों को 50-50 लाख रुपए, तेलंगाना सरकार ने कप्तान मिताली राज को 50 लाख रुपए और भारतीय रेलवे ने 13-13 लाख रुपए दिए थे। तब हरमनप्रीत कौर रेलवे की ही मुलाजिम हुआ करती थीं।
तोहफे में मिली थी डटसन रेडी-गो : विश्वकप में खेली 15 में से 10 खिलाड़ी भारतीय रेलवे की थीं। यही नहीं, भारत को फाइनल के दरवाजे तक पहुंचाने में अहम किरदार निभाने वाली खिलाड़ी को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए वाहन निर्माता कंपनी डटसन इंडिया ने डटसन रेडी-गो तोहफे में दी तो ईएसपीएनक्रिकइन्फो ने वार्षिक पुरस्कारों में उन्हें महिला क्रिकेट में 'वर्ष का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन' के रूप में आंका।
 
 
रेलवे ने माफ किया था रोजगार बांड : असल में भारत की स्टार बल्लेबाज हरमनप्रीत कौर का सपना पंजाब पुलिस की वर्दी पहनने का था, लेकिन रेलवे की मुलाजिम होने के कारण उनका यह सपना साकार नहीं हो पा रहा था। बाद में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदरसिंह को दखल देना पड़ा और रेलवे ने उनके रोजगार बांड को माफ कर दिया था। 
पांच महीने ही सीने पर रही डीएसपी की वर्दी : डीएसपी बनने के बाद हरमनप्रीत कौर की मां सतिंदर कौर सबसे ज्यादा खुश थीं और इस खुशी को वे पंजाब मोंगा शहर में ही नहीं बल्कि अपने तमाम रिश्तेदारों के साथ बांट रही थीं। तब उन्होंने कहा था कि बेटियां किस तरह मां-बाप का सिर ऊंचा करती हैं, यह हरमनप्रीत ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है लेकिन मां को क्या पता था कि पांच महीने में ही बेटी की डीएसपी की वर्दी उतर जाएगी...आज भले ही हरमनप्रीत के पास दौलत है, लेकिन फर्जी डिग्री के मामले में उनकी शोहरत मिट्टी में मिल गई है...

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