राजकोट। विदेशों में एक और हार से आहत भारत अब स्वदेश में अपना दबदबा कायम रखते हुए विजयी राह पर लौटने और ऑस्ट्रेलिया के कड़े दौरे से पहले टीम संयोजन को सही स्वरूप प्रदान करने के उद्देश्य से गुरुवार को यहां अनुभवहीन विंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला का पहला मैच खेलने के लिए उतरेगा।
भारत को पिछले नौ महीनों में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में हार का सामना करना पड़ा लेकिन तब भी टेस्ट मैचों में दुनिया की नंबर एक टीम बना हुआ है। ऐसे समय में विंडीज पर बड़ी जीत से विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम का मनोबल बढ़ेगा जिसे नवंबर में शुरू होने वाले ऑस्ट्रेलियाई दौरे में फिर से कड़ी परीक्षा से गुजरना है।
भारत को आठवें नंबर की विंडीज के खिलाफ जीत से बहुत कुछ हासिल नहीं होगा लेकिन कैरेबियाई टीम अपना प्रभाव छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उसे भारत के खिलाफ 2002 के बाद अपनी पहली जीत का इंतजार है जबकि भारतीय सरजमीं पर उसने 1994 के बाद कोई मैच नहीं जीता है।
भारतीय टीम को इंग्लैंड दौरे में कई बदलाव करने के कारण आलोचना झेलनी पड़ी और इसके बाद सलामी बल्लेबाज मुरली विजय और शिखर धवन को अपनी जगह गंवानी पड़ी। यहां तक कि इंग्लैंड दौरे में बेंच पर बैठे रहने वाले करुण नायर को बाहर किए जाने भी टीम चयन पर सवाल उठने लग गए हैं।
यह तय है कि भारत इस मैच में नई सलामी जोड़ी के साथ मैदान पर उतरेगा। केएल राहुल प्रतिभाशाली पृथ्वी शॉ के साथ मिलकर पारी का आगाज करेंगे। इनकी जोड़ी भले ही यहां चल जाए लेकिन जरूरी नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया में वह चल सके जहां की परिस्थितियां पूरी तरह भिन्न हैं।
गेंदबाजी विभाग की बात करें तो भारत का तीन स्पिनरों - आर अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव के साथ खेलना तय है। जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार को विश्राम देने तथा इशांत शर्मा के चोटिल होने के बाद उमेश यादव और मोहम्मद शमी तेज गेंदबाजी आक्रमण की अगुवाई करेंगे।
चोटिल हार्दिक पांड्या की अनुपस्थिति में जडेजा ऑलराउंडर की भूमिका निभाएंगे। एशिया कप में वनडे में शानदार वापसी करने वाले जडेजा अपने घरेलू मैदान पर चमक बिखेरने के लिए तैयार होंगे। एक अन्य खिलाड़ी ऋषभ पंत पर भी निगाह टिकी रहेगी जिन्होंने ओवल में 114 रन की पारी खेलकर टीम में अपनी जगह सुरक्षित रखी है। ओवल में अपने पदार्पण पर 56 रन बनाने वाले हनुमा विहारी को अंतिम एकादश में जगह नहीं मिल पाएगी क्योंकि टीम पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों को उतारना चाहती है।
भारत की यह सबसे दमदार टीम नहीं है लेकिन तब भी वह अनुभवहीन विंडीज पर दबदबा बनाने में सक्षम है। कैरेबियाई टीम में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उन्हें भारत में खेलने का खास अनुभव नहीं है। उसकी 15 सदस्यीय टीम में से केवल पांच खिलाड़ियों को ही भारत में टेस्ट खेलने का अनुभव है और इनमें तेज गेंदबाज केमार रोच भी शामिल हैं जो बारबाडोस में अपनी नानी के निधन के कारण पहले मैच में नहीं खेल पाएंगे।
जिन अन्य खिलाड़ियों को भारत में टेस्ट खेलने का अनुभव है उनमें देवेंद्र बिशू, क्रेग ब्रेथवेट, कीरन पावेल और शेनोन गैब्रियल शामिल हैं। विंडीज नवंबर 2013 में सचिन तेंदुलकर की विदाई श्रृंखला में खेलने के बाद पहली बार भारत में टेस्ट खेल रहा है।
कोच स्टुअर्ट लॉ की देखरेख में टीम ने कुछ अच्छे परिणाम दिए हैं। उसने पिछले साल इंग्लैंड को लीड्स में हराया जिसमें शाई होप ने 147 और नाबाद 118 रन की पारियां खेली थी। विंडीज स्वदेश में श्रीलंका के खिलाफ 1-1 से ड्रॉ खेलने और बांग्लादेश पर 2-0 की जीत दर्ज करने के बाद भारत दौरे पर आ रहा है।
लॉ को अपनी टीम से काफी उम्मीद हैं। उनकी टीम ने वड़ोदरा में दो दिवसीय अभ्यास मैच खेलने से पहले दुबई में अभ्यास किया था। लॉ ने कहा कि भारत का दौरा करना दूसरी टीमों के लिए हमेशा मुश्किल होता है। हमें दुनिया को दिखाना होगा हम भी अच्छा खेल सकते हैं और मौके का फायदा उठा सकते हैं।