- सीमान्त सुवीर
इंदौर। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होलकर स्टेडियम में रविवार को खेले गए तीसरे वन-डे मैच के लिए सुरक्षा के इंतजाम अभूतपूर्व थे। यह पहला मौका था, जब न केवल पुलिसकर्मी बल्कि निजी सुरक्षा एजेंसी के बाउंसर भी दर्शकों के साथ शालीनता के साथ पेश आए। मैच के पूर्व और मैच के खत्म होने तक कहीं कोई अप्रिय घटना देखने को नहीं मिली।
होलकर स्टेडियम की दर्शक क्षमता करीब 27 हजार 900 है और इस मैच के रोमांच को देखने के लिए इंदौरियंस 4 घंटे पहले ही पहुंच गए थे। आयोजकों ने 1.30 बजे प्रारंभ होने वाले मैच के दरवाजे 11 बजे खोले। टॉस 1 बजे हुआ लेकिन पौने एक बजे भी गैलरी के लिए लंबी और पैवेलियन के लिए कुछ छोटी लाइनें लगी हुई थीं।
इस बार होलकर स्टेडियम के सभी प्रवेश द्वार पर दर्शकों को दो मर्तबा बारकोडिंग की जांच करने के बाद ही प्रवेश मिल सका। इस व्यवस्था का फायदा यह हुआ कि जो पुलिसकर्मी अपने चहेतों को किसी तरह मुफ्त में मैच का आनंद दिलाना चाहते थे, वे इससे वंचित रह गए।
इस मैच के लिए दर्शकों में किस तरह का उत्साह था, इसका नजारा तब देखने को मिला, जब पैवेलियन में एक विकलांग दर्शक अपने साथी की पीठ पर लदकर लाइन में लगा और पैवेलियन तक पहुंचा। यही नहीं, धुलिया से 25 युवकों का समूह भी ऑनलाइन टिकट लेकर इस मैच को देखने आया।
महाराष्ट्र के धुलिया के युवकों का यह समूह जहां भी क्रिकेट मैच होते हैं, वहां पहुंच जाता है। एमएस धोनी के सबसे बड़ा प्रशंसक भी यहां पहुंचा, जिसने ऑइल पेंट से खुद को तिरंगे में पोत रखा था। इस प्रशंसक को धोनी ही टिकट मुहैया करवाते हैं। इस मैच को देखने के लिए गुजरात से भी कई दर्शक इंदौर पहुंचे थे... स्टेडियम में मोबाइल टार्च भी जमकर जली और मैक्सिकन वेव के भी नजारे देखने को मिले।
ड्रेसिंग रूम के पास दर्शकों के बीच ऑस्ट्रेलिया से आया एकमात्र प्रशंसक आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। ऑस्ट्रेलियाई ड्रेस में वह अपने देश का झंडा लहरा था और बिलकुल एंड्रयू साइमंड्स का छोटा भाई लगता था। किसी ने उसे हिंदी भी सिखा दी और कई बार वो ऑस्ट्रेलियन जुबां से चिल्ला रहा था...भारत हारेगा लेकिन जब परिणाम आया तो उसका चेहरे से नूर गायब हो चुका था...
हमेशा की तरह होलकर स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। इस मैच में 13 विकेट गिरे और कुल 587 रन बने, भारत की तरफ से तीन अर्द्धशतक (हार्दिक पांड्या 78, रोहित शर्मा 71, अजिंक्य रहाणे 70) लगे जबकि ऑस्ट्रेलिया के तरफ से एक शतक (फिंच 124) और एक अर्धशतक स्मिथ (63) ने लगाया लेकिन इसके बाद भी दर्शकों यह प्रतिक्रिया थी कि मैच में मजा नहीं आया।
दरअसल भारतीय गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया को 50 ओवर में 8 विकेट खोकर 293 रनों पर ही रोक दिया था। जब फिंच का बल्ला आग उगल रहा था और दूसरे छोर से स्मिथ भी गेंदबाजों पर टूट पड़े थे, तब लगा था कि स्कोर 350 तक न पहुंच जाए लेकिन इन दोनों के आउट होते ही ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी पर अंकुश लग गया। मैच में वाकई 350 रन बनते तो संभव था यह मैच रोमांचक होता लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने इसे पूरी तरह एकरतफा बना दिया।
ऑस्ट्रेलियाई टीम में भी मतभेद : पक्की जानकारी यह सामने आ रही है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के भीतर ही मतभेद चल रहे हैं। कई खिलाड़ी कप्तान स्टीव स्मिथ का सहयोग नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को इस दौरे में लगातार तीन मैचों में हार का कड़वा घूंट पीना पड़ा है।
यह भी साफ दिखाई दे रहा है कि डेविड वॉर्नर और मैक्सवेल जैसे तूफानी बल्लेबाजों की मौजूदगी के बाद भी यह टीम उतनी ताकतवर नहीं दिख रही है, जैसी हमेशा हुआ करती थी। मसलन एलन बॉर्डर या स्टीव वॉ या फिर रिकी पोंटिंग की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलियन टीम के तेवर देखते ही बनते थे।
जिस ऑस्ट्रेलिया को बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी कमजोर टीम हरा दे, उसे विराट की सेना भी धराशायी कर दे तो यह नहीं समझना चाहिए कि टीम इंडिया ने कोई बहुत बड़ा तीर मार लिया हो। स्टीव स्मिथ की कप्तानी वाली इस टीम में गेंदबाजी आक्रमण में पैनापन नहीं है जबकि क्षेत्ररक्षण में भी काफी दरार है।
इंदौर वनडे के रोमांचक न होने की कसक उन क्रिकेटप्रेमियों के दिलों में कहीं ज्यादा है, जो 36 से 40 घंटे लाइन में लगने के बाद टिकट लेकर होलकर स्टेडियम पहुंचे थे। दर्शकों का मजा तब दोगुना हो जाता जब मैच की आखिरी गेंद तक रोमांच रहता।