पूर्व ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर को स्टम्प्स के पीछे उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जाना जाता था और एक बार इसी कारण से उनकी उंगली में फ्रैक्चर हो गया गया था। वर्ष 1950 के दशक में मैडोक्स अन्य विकेटकीपर गिल लेंग्ली के बाद दूसरे अहम खिलाड़ी थे। मैडोक्स ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ कई दौरे किए लेकिन उन्हें अंतिम एकादश में बहुत कम ही मौके मिले।
मैडोक्स ने इंग्लैंड में 1954-55 में एमसीजी ग्राउंड में अपना टेस्ट पदार्पण किया था। इस मैच में उन्होंने पहली पारी में सर्वाधिक 47 रनों की पारी खेली। इसी सीरीज में उन्होंने एडिलेड ओवल टेस्ट में भी 69 रन की पारी दूसरी बड़ी पारी खेली थी। घरेलू क्रिकेट में भी काफी लोकप्रिय मैडोक्स ने विक्टोरिया और तस्मानिया टीमों के लिए कप्तानी की थी और उनका घरेलू करियर करीब 20 वर्षों तक चला।