सिराज को कभी कहा गया था, 'जाकर अपने पिता की तरह ऑटो चलाओ', माही के शब्दों ने दिया था दिलासा
मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022 (16:29 IST)
मोहम्मद सिराज आज टीम इंडिया में एक बड़ा नाम है। लेकिन जैसे बड़ा नाम बनने के लिए सबको संघर्ष के साथ अपमान का घूंट पीना पड़ता है वैसा ही कुछ मोहम्मद सिराज के साथ कुछ सालों पहले हुआ था।
यह बात है 3 साल पुरानी, सिराज का आईपीएल 2019 किसी बुरे सपने जैसा जा रहा था। इतना बुरा कि उनको यहां तक सुनना पड़ा था कि क्रिकेट छोड़ो और अपने पिता की तरह ऑटो चलाओ। इस सत्र में उन्होंने 10 की इकॉनोमी से रन दिए थे और सिर्फ 7 विकेट लिए थे।
गौरतलब है कि मोहम्मद सिराज के पिताजी ऑटो चालक थे जिनका निधन साल 2020 मे ही हुआ था। बहरहाल इन कमेंट्स के कारण सिराज अंदर तक टूट गए थे। वह काफी चिंतित रहने लग गए थे और उनको लगा था कि अब वह क्रिकेट दुबारा नहीं खेल पाएंगे।
सिराज ने आईपीएल 2019 में कोलकाता के खिलाफ तो 2.2 ओवरों में 36 रन खर्च किए थे। यही नहीं दो बीमर फेंकने के बाद तो कप्तान विराट कोहली को उनको गेंदबाजी से हटाना पड़ा। सिराज की तरह ही पूरी आरसीबी टीम के लिए वह सत्र भुलाने लायक रहा था।
हालांकि इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी की बातों से वह खुद को ढांढस बंधा पाए।हाल ही में सिराज ने आरसीबी के पॉडकास्ट में कहा कि "लोग सिर्फ आपकी सफलता देखते हैं संघर्ष नहीं। मुझे याद है कि माही भाई ने मुझसे कहा था कि लोग तुम्हारे बारे में क्या विचार रखते हैं यह ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। अच्छा प्रदर्शन होता है तो यही लोग आपको सिर पर चढ़ा लेंगे वहीं खराब प्रदर्शन पर गालियां देंगे।"
इस किताब में भी लिखा है सिराज का दर्द और संघर्ष
सिराज जुनून और गौरव की कई कहानियों में से एक हैं जिसका जिक्र भारतीय क्रिकेट पर नई किताब मिशन डॉमिनेशन: एन अनफिनिश्ड क्वेस्ट में किया गया है।
किताब के अनुसार, नवंबर 2020 में ऑस्ट्रेलिया में 14 दिन के अनिवार्य क्वॉरंटीन के दौरान सिराज के पिता का इंतकाल हो गया था। इसका मतलब था कि टीम का उसका कोई भी साथी इस दौरान गम को साझा करने उसके कमरे में नहीं जा सकता था। उस समय सभी के कमरों के बाहर पुलिसकर्मी खड़े थे जिससे कि भारतीय नियमों का उल्लंघन नहीं करें। उनकी निगरानी ऐसे हो रही थी जैसे वे मुजरिम हैं जो ऑस्ट्रेलिया में कोविड का निर्यात कर सकते हैं।
इसमें कहा गया, इसका नतीजा यह था कि टीम के साथी पूरे दिन उसके साथ वीडियो कॉल पर बात करते थे। वे चिंतित थे कि कहीं वह कुछ गलत ना कर ले या खुद को नुकसान ना पहुंचा ले। सिर्फ फिजियो उपचार के लिए उसके कमरे में जा सकता था और नितिन पटेल ने अंदर जाकर इस युवा खिलाड़ी का गम साझा किया था।
किताब के अनुसार, सिराज कई मौकों पर टूट गए जो स्वाभाविक था लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की अपने पिता की इच्छा पूरी करना चाहते थे और जब मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान मौका मिला तो वह उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे।ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट सीरीज में 13 विकेट चटकाकर सिराज रातों रात स्टार बन गए।
इस दौरे पर सिराज के साथ ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्णियां भी की लेकिन सिराज का ध्यान सिर्फ अपने खेल पर रहा और बोर्डर गावस्कर ट्रॉफी की एतिहासिक जीत में उनका अहम योगदान रहा।