मुंबई। महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को लगता है कि गेंदबाजी करने वाली टीम की तरह बल्लेबाजी करने वाली टीम को भी मैच के दौरान खेल के नियमों का उल्लघंन करने के लिए सात रन का जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
मुंबई टी20 लीग के यहां शनिवार को सेमीफाइनल में सोबो सुपरसोनिक्स और आकाश टाइगर्स मुंबई वेस्टर्न सबर्ब के बीच हुए अजीबोगरीब विवाद के बाद तेंदुलकर ने यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, 'जो भी मैंने देखा, वो मैंने पहली बार देखा है और फिर मैंने सोचना शुरू किया कि क्या किया जा सकता है और यह एक डेड बॉल नहीं हो सकती। लेकिन नियम इस तरह के हैं कि जो कुछ भी हुआ, वो उस समय सही चीज थी।'
तेंदुलकर ने कहा कि मैं सोच रहा था कि बदलाव के लिए क्या किया जा सकता है जो आने वाले समय में लागू किया जा सकता है और मुझे लगता है कि अगर सर्कल के अंदर तीन क्षेत्ररक्षक हैं तो अंपायर उन्हें कभी नहीं कहता कि आपको चौथा क्षेत्ररक्षक रिंग में लगाने की जरूरत है और अगर नो बॉल होती है और इसके लिए फ्री हिट है। इसलिये क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को इसके लिए जुर्माना लगाया जाता है।
उन्होंने कहा कि लेकिन जब बल्लेबाज अपने छोर पर नहीं पहुंचते तो बल्लेबाजी करने वाली टीम पर जुर्माना क्यों नहीं लगता? मुझे लगता है कि बल्लेबाजी करने वाली टीम को भी सजा मिलनी चाहिए। और एक गेंद पर अधिकतम कितने रन बना सकता है, जो सात रन हैं जिसमें एक पिछली नो बॉल और फ्री हिट पर रन हैं। इसलिये शायद यहां पर बल्लेबाजी करने वाली टीम पर सात रन का जुर्माना लगना चाहिए।
क्या है मामला : शनिवार को 15वें ओवर के अंत में सोबो सुपरसोनिक्स की टीम बिना विकेट गंवाये 158 रन पर थी जब हर्श टैंक को क्रैंप के कारण चिकित्सा लेनी पड़ी। इस ओवर की अंतिम गेंद पर जय बिष्टा ने एक रन लिया लेकिन अगले ओवर के शुरू होने पर किसी भी खिलाड़ी या अंपायर ने महसूस नहीं किया कि टैंक स्ट्राइक छोर पर थे, बिस्टा नहीं।
गलत स्ट्राइक लेने के बाद टैंक पहली गेंद पर आउट हो गए। अंपायरों को महसूस हुआ कि बल्लेबाजों ने छोर नहीं बदला था तो उन्होंने इसे डेड बॉल करार कर दिया जिससे आकाश टाइगर्स की टीम को विकेट नहीं मिला जबकि गलती पूरी तरह से बल्लेबाजों की थी।
तेंदुलकर ने कहा कि यह मैदान के बाहर के मैच अधिकारियों का काम था कि वे मैदानी अंपायरों को इस गलती का आभास कराते। (भाषा)