नई दिल्ली। भारतीय टीम भले ही अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में हार गई हो लेकिन ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ रहे यशस्वी जायसवाल इससे रातोंरात सितारा बन गए हालांकि अब चुनौती ‘स्टारडम’ से किनारा करके क्रिकेट पर फोकस करने की होगी।
‘गोलगप्पा ब्वाय’ के रूप में मशहूर हुए यशस्वी की उत्तरप्रदेश के भदोही से निकलकर भारतीय अंडर-19 टीम में जगह बनाने और विश्व कप में असाधारण प्रदर्शन की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अंडर-19 विश्व कप में फाइनल में 88 रन समेत कुल 400 रन बनाए और 3 विकेट भी लिए।
यशस्वी अपने प्रदर्शन से लगातार मीडिया में सुर्खियों में हैं लेकिन उनके सरपरस्त और कोच ज्वाला सिंह का कहना है कि इस सफलता से उसके जीवन में कोई बदलाव नहीं आने वाला और उसका फोकस क्रिकेट पर ही रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘भारत में क्रिकेटरों को रातोंरात स्टार बनाकर दूसरा तेंदुलकर, दूसरा कोहली बताने लगते हैं। लेकिन अगर वैसा बनना है तो लगातार 20 साल तक अच्छा खेलना होगा। अभी यशस्वी ने शुरुआत ही की है।’
उन्होंने कहा, ‘उसे पता है कि जो भी कुछ है, प्रदर्शन की वजह से है। सफलता मिलने के बाद बहुत सारी पेशकश आती हैं लेकिन आपको मायाजाल से खुद को बचाना है। मैं उसका सिर्फ कोच नहीं हूं बल्कि परिवार की तरह हूं। मैं उसके पैर हमेशा जमीन पर रखता हूं।’
गोरखपुर से कभी क्रिकेटर बनने मुंबई आए सिंह ने कहा, ‘उसने अभी तक इसे बनाए रखा है और आगे भी वैसे ही रहेगा। उसकी जिंदगी में बहुत बदलाव नहीं आने वाला। उसे अभी काफी क्रिकेट खेलनी है। बहुत तैयारी करनी है मेहनत करनी है। मैं उससे कहूंगा कि पिछले टूर्नामेंट को भूल जाए और आगे की सुध ले।’
उन्होंने कहा, ‘हमारी अकादमी में चमिंडा वास, रंगाना हेराथ, वसीम अकरम जैसे खिलाड़ी आते रहे हैं। मैं हमेशा यशस्वी को उनसे मिलवाता था और कहता था कि फोकस कैसे बेहतर करें, उस पर बात करें।’
विजय हजारे ट्रॉफी में दोहरा शतक जड़ने वाले सबसे कम उम्र के युवा बल्लेबाज बने यशस्वी अंडर-19 क्रिकेट में एक टूर्नामेंट में शिखर धवन के बाद सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय हैं। धवन ने 2004 अंडर-19 विश्व कप में 505 रन बनाए थे।
विश्व कप के बीच ही यशस्वी के गोलगप्पे बेचकर गुजारा करने की कहानियां सामने आई थी हालांकि उनके कोच ने कहा कि उसके संघर्ष की बात पुरानी है और अब उसकी पहचान उसके खेल से होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘उसका संघर्ष 7 साल पहले की बात है। पिछले 7 साल से काफी अच्छा क्रिकेट खेल रहा है। मैं चाहता हूं कि लोग उसके प्रदर्शन के बारे में बात करे, संघर्ष के बारे में नहीं। उसने अंडर-16 स्तर पर रन बनाए हैं, अंडर-19 स्तर पर बना रहा है।’
अपने शिष्य के भीतर अपना अक्स देखने वाले सिंह ने कहा कि उसके संघर्ष की कहानी ने हालांकि युवाओं को प्रेरित किया है कि सपने पूरे करने के लिए संसाधन बहुत मायने नहीं रखते।
उन्होंने कहा, ‘बहुत लोग कहते हैं कि ये संघर्ष की बातें क्यों हो रही हैं लेकिन इससे लोगों को प्रेरणा भी मिली कि अगर मूलभूत सुविधाए नहीं हैं तो भी सपने पूरे होते हैं बशर्ते आप में काबिलियत और लगन हो।’