Virat Kohli Letter to AB de Villiers : भारत के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली ने जिन खिलाड़ियों के साथ वह खेले उनमें एबी डिविलियर्स को बुधवार को सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर करार दिया।दक्षिण अफ्रीका के महान खिलाड़ी डिविलियर्स को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में इंग्लैंड के दिग्गज एलिस्टेयर कुक और भारत की नीतू डेविड के साथ शामिल किया गया।
एक खुले पत्र में कोहली ने आईपीएल टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के अपने पूर्व साथी की जमकर तारीफ की।
कोहली ने लिखा, आप अपनी जगह के पूरी तरह हकदार हैं- आखिरकार, हॉल ऑफ फेम खेल पर आपके प्रभाव का प्रतिनिधित्व करता है और आपका योगदान वाकई अद्वितीय रहा है।
उन्होंने कहा, लोग हमेशा आपकी क्षमता के बारे में बात करते रहे हैं और यह सही भी है। आप सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर हैं जिनके साथ मैंने खेला, आप निश्चित रूप से नंबर एक हैं।
कोहली ने डिविलियर्स के खेल के मूल्यों को बनाए रखने के विश्वास और दृढ़ता को ऐसे गुणों के रूप में वर्णित किया जिनका दर्शकों की मानसिकता पर प्रभाव पड़ा।उन्होंने लिखा, बहुत से खिलाड़ी प्रभावशाली प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन बहुत कम खिलाड़ी दर्शकों की मानसिकता पर प्रभाव डाल पाते हैं।
कोहली ने कहा कि डिविलियर्स ऐसे खिलाड़ी हैं जो अक्सर अपनी टीम को मुश्किलों से उबारते हैं।उन्होंने कहा, यह कभी किसी और के बारे में नहीं था। यह कभी किसी दूसरे खिलाड़ी के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बारे में नहीं था।
भारतीय क्रिकेटर ने कहा, यह हमेशा इस बारे में था कि आप टीम के लिए क्या प्रभाव डाल सकते हैं। मुश्किल परिस्थितियों में आप अक्सर अपनी टीम को उबारने वाले व्यक्ति होते थे। अपनी टीम के लिए खेल जीतने वाले व्यक्ति बनने की आपकी इच्छा जबरदस्त थी और मैंने इससे बहुत कुछ सीखा।
कोहली ने कहा कि डिविलियर्स ने उन्हें अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होने के महत्व के बारे में सिखाया।
उन्होंने कहा, मुझे याद है कि मैंने आपसे सीखा था कि पिछले चार मैचों में आपने जो कुछ भी किया है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह इस बारे में है कि आप आज के मैच को कैसे देखते हैं।
कोहली ने 2015 में नयी दिल्ली में खेले गए टेस्ट मैच की यादें भी ताजा कीं जिसमें दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने मैच ड्रॉ कराने के लिए कड़ी मेहनत की थी।
कोहली ने कहा, हर कोई आपके आक्रामक शॉट को याद करता है लेकिन आप परिस्थिति के हिसाब से खुद को ढाल लेते हैं। 2015 में दिल्ली में खेले गए टेस्ट मैच को ही लें जब आपने 297 गेंदों का सामना किया और टेस्ट मैच बचाने की कोशिश में 43 रन बनाए।
उन्होंने कहा, किसी समय आपके मन में यह विचार आया होगा कि मैंने 200 गेंदों का सामना किया है तो मुझे बाउंड्री लगानी चाहिए। लेकिन एक बार जब आपने खुद को उस स्थिति में डाल लिया जिसकी जरूरत थी तो आप बस आगे बढ़ते रहे।
उन्होंने कहा, यह सब आपकी क्षमता पर विश्वास पर निर्भर करता है। यह सिर्फ अंधाधुंध शॉट के बारे में नहीं था। आपके पास गेंद को बचाने की क्षमता थी और उस डिफेंस पर आपको भरोसा था। दक्षिण अफ्रीका की जरूरत के अनुसार इस तरह खेलना, आपके टीम खिलाड़ी होने का एक बेहतरीन उदाहरण है।(भाषा)