नई दिल्ली। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के 'चार दिवसीय टेस्ट' के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है और संचालन संस्था से इस प्रारूप से 'छेड़छाड़' से बचने की अपील की है जिसमें स्पिनरों की भूमिका अंतिम दिन होती है।
आईसीसी चाहता है कि 143 साल पुराने 5 दिवसीय प्रारूप को 4 दिन का कर दिया जाए और अगले भविष्य दौरा कार्यक्रम (एफटीपी) सत्र में सीमित ओवरों के क्रिकेट को अधिक तवज्जो दी जाए। विराट कोहली, रिकी पोंटिंग, जस्टिन लैंगर और नाथन लियोन जैसे स्टार खिलाड़ियों ने हालांकि इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है।
तेंदुलकर ने एक साक्षात्कार में कहा कि टेस्ट क्रिकेट का प्रशंसक होने के नाते मुझे नहीं लगता कि इससे छेड़छाड़ की जानी चाहिए। इस प्रारूप को उसी तरह खेला जाना चाहिए जिस तरह यह वर्षों से खेला जाता रहा है। टेस्ट और 50 ओवर के क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज तेंदुलकर का मानना है कि 1 दिन कम होने से बल्लेबाज सोचने लगेंगे कि टेस्ट क्रिकेट में सीमित ओवरों के क्रिकेट का विस्तार हुआ है।
200 टेस्ट खेलने वाले दुनिया के एकमात्र क्रिकेटर तेंदुलकर ने कहा कि बल्लेबाज यह सोचना शुरू कर देंगे कि यह सीमित ओवरों के क्रिकेट का लंबा प्रारूप है, क्योंकि अगर आप दूसरे दिन लंच तक बल्लेबाजी कर लोगे तो आपके पास सिर्फ ढाई दिन बचेंगे। इससे खेल को लेकर विचारधारा बदल जाएगी। चिंता की एक अन्य बात यह है कि 1 दिन कम होने से स्पिनर निष्प्रभावी हो सकते हैं।
तेंदुलकर ने कहा कि स्पिनर को 5वें दिन गेंदबाजी का मौका नहीं देना वैसे ही है, जैसे तेज गेंदबाज को पहले दिन गेंदबाजी का मौका नहीं मिले। दुनिया में ऐसा कोई तेज गेंदबाज नहीं है, जो 5वें दिन की पिच पर गेंदबाजी नहीं करना चाहेगा।
उन्होंने कहा कि 5वें दिन अंतिम सत्र में कोई भी स्पिनर गेंदबाजी करना पसंद करेगा। गेंद पहले दिन या पहले सत्र से टर्न नहीं लेती। विकेट को टूटने में समय लगता है। 5वें दिन टर्न, उछाल और सतह की असमानता दिखती है, क्योंकि पहले 2 दिन ऐसा नहीं होता।
तेंदुलकर समझते हैं कि खेल से व्यावसायिक पहलू और दर्शकों की रुचि जुड़ी है लेकिन वे चाहते हैं कि एक ऐसा प्रारूप रहे, जहां बल्लेबाजों की वास्तविक परीक्षा हो। उन्होंने कहा कि हमें सबसे पहले समझना होगा कि वे ऐसा क्यों चाहते हैं और ऐसा करने के कारण क्या हैं। इसका एक व्यावसायिक पहलू भी है।
इस दिग्गज बल्लेबाज ने कहा कि दर्शकों के अनुकूल, हां, यह महत्वपूर्ण है। लेकिन इसके लिए हम टेस्ट से एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और फिर टी-20 तक पहुंच गए और अब तो टी-10 भी हो रहे हैं। इसलिए परंपरावादियों के लिए भी कुछ होना चाहिए और यह टेस्ट क्रिकेट है।
उन्होंने कहा कि बल्लेबाज, क्या टेस्ट क्रिकेट में उनकी परीक्षा होती है? कम से कम एक प्रारूप ऐसा होना चाहिए जिसमें बल्लेबाज को चुनौती मिले और यही कारण है कि इसे टेस्ट क्रिकेट कहा जाता है, क्योंकि यह 2 सत्रों में खत्म नहीं होता। कभी-कभी मुश्किल पिच पर आपको कई घंटों तक बल्लेबाजी करनी होती है। तेंदुलकर का मानना है कि दर्शकों के रोमांच के लिए छोटे प्रारूप मौजूद है।