सफलता के घोडे़ पर सवार होकर सरपट दौड़ रहे महेन्द्रसिंह धोनी इंग्लैंड में ट्वेंटी-20 विश्वकप में इस कदर औंधे मुँह गिरे कि अब उनकी साख ही दाँव पर लग गई है। विश्वकप की निराशा के बाद धोनी के लिए वेस्टइंडीज का आगामी एकदिवसीय दौरा उनके करियर का सबसे बड़ा इम्तिहान बनने जा रहा है।
धोनी यदि वेस्टइंडीज में चार वनडे मैचो की सिरीज में जीत हासिल कर लेते हैं तो वे अपना खोया हुआ सम्मान कुछ हद तक वापस हासिल कर लेंगे, लेकिन कैरेबियाई जमीन पर होने वाली इस अग्नि परीक्षा में यदि वे विफल रहते हैं तो उनके लिए आगे की राह काँटोभरी हो जाएगी।
इंग्लैंड में खेले जा रहे ट्वेंटी-20 विश्वकप में भारतीय टीम का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा और पिछली बार की विजेता टीम इंडिया इस बार सेमीफाइनल तक भी नहीं पहुँच पाई। टीम इंडिया के इस खराब प्रदर्शन से पूरी दुनिया में फैले इसके प्रशंसकों को काफी निराशा हुई। भारत में तो टीम के इस प्रदर्शन पर विरोध प्रदर्शन तक किया गया।
अब भारतीय टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ चार वनडे मैचों की सिरीज के लिए गुरुवार को इंग्लैंड से सीधे वेस्टइंडीज के लिए रवाना हो गई। उसे 26 जून से 5 जुलाई तक वहाँ चार वनडे मैचों की सिरीज खेलनी है।
राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने बुधवार को वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम का चयन किया था, लेकिन कमोबेश यह टीम ट्वेंटी-20 विश्वकप वाली ही है। मुरली विजय, सुब्रमण्यम बद्रीनाथ, आशीष नेहरा और अभिषेक नायर को टीम में जगह मिली है लेकिन बाकी की टीम ट्वेंटी-20 विश्वकप वाली ही रही। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जिस कप्तान धोनी ने ट्वेंटी-20 की टीम को थकी और अनफिट बताया था, कमोबेश वही टीम वेस्टइंडीज में कैसे अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी।
जाहिर है कि टीम इंडिया के लिए वेस्टइंडीज दौरा आसान नहीं होने जा रहा है। कप्तान धोनी ने कहा था कि टीम जनवरी से ही लगातार क्रिकेट खेल रही है तो फिर ऐसे में वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को उसी की जमीन पर मात देना थकी-माँदी टीम इंडिया के लिए टेढ़ी खीर होगी। वैसे भी वेस्टइंडीज की टीम अपनी धरती पर अपराजेय मानी जाती है। उसने हाल ही में इंग्लैंड जैसी कद्दावर टीम को टेस्ट सिरीज में मात दी थी।
हालाँकि भारतीय टीम वनडे सिरीज खेलने के लिए वहाँ जा रही है लेकिन जिस तरह से वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों का अभी प्रदर्शन रहा वैसे में तो कप्तान धोनी के लिए क्रिस गेल के नेतृत्व वाली टीम से पार पाने के लिए कुछ खास योजना ही बनानी पड़ेगी। ट्वेंटी-20 विश्वकप में उपकप्तान युवराजसिंह, रोहित शर्मा और कुछ हद तक गौतम गंभीर को छोड़कर बाकी खिलाड़ी असफल ही रहे थे। खुद कप्तान धोनी का बल्ला शांत हो गया है। ऐसे में एक बार फिर युवराज, रोहित और गंभीर पर ही अच्छे प्रदर्शन की जिम्मेदारी होगी।
भारत के लिए सबसे बुरी खबर तो यह है कि उसके सबसे अनुभवी खिलाडी सचिन तेंडुलकर इस दौरे पर नहीं जा रहे हैं। इसके अलावा तेज गेंदबाज जहीर खान ने भी कंधे की चोट से पूरी तरह निजात पाने के लिए विश्राम का सहारा लिया है। यानी टीम इंडिया में शामिल कई युवा भारतीय खिलाड़ियों के लिए अनुभव की कमी आड़े आ सकती है। कप्तान धोनी को भी वेस्टइंडीज में खेलने का बहुत ज्यादा मौका नहीं मिला है।
हालाँकि टीम इंडिया का पिछले तीन-चार वर्षों में जैसा प्रदर्शन रहा है, उसे देखते हुए यह तो कहा ही जा सकता है कि भारतीय टीम वापसी का माद्दा रखती है। लेकिन इसके लिए कप्तान धोनी के अलावा गंभीर और यूसुफ पठान जैसे बल्लेबाजों को रन बनाने होंगे। टीम ट्वेंटी-20 विश्वकप में एकजुट होकर नहीं खेल पाई थी। कप्तान धोनी इस टूर्नामेंट के पाँच मैचों में 86 रन ही बना पाए थे। गंभीर ने भी केवल 148 रन ही बनाए। यूसुफ टी-20 के पाँच मैचों में 65 रन ही बना पाए थे। ऐसे में इन सभी खिलाड़ियों को यहाँ बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा।
दूसरी तरफ भारत की गेंदबाजी भी चिंता का सबब है। जहीर की जगह टीम में चार वर्ष बाद स्थान पाने वाले नेहरा, ईशांत शर्मा और प्रवीण कुमार वेस्टइंडीज में टीम की तेज गेंदबाजी की कमान संभालेंगे। वेस्टइंडीज की पिचें तेज गेंदबाजी के लिए अनुकूल मानी जाती हैं और ईशांत और नेहरा के लिए यहाँ मौके हो सकते हैं।
स्पिन की कमान अनुभवी हरभजनसिंह के हाथ में होगी लेकिन उनके लिए यहाँ की परिस्थतियाँ मुश्किल पैदा कर सकती हैं। प्रज्ञान ओझा को यहाँ मौका मिलना मुश्किल लग रहा है।।
ट्वेंटी-20 विश्वकप के दौरान कप्तान धोनी को आक्रामक ओपनर वीरेन्द्र सहवाग के साथ तकरार की खबरें मीडिया में आई थीं जिससे उनकी और टीम की बड़ी जगहँसाई हुई थी। अब टीम को इन सब बुरे दौरे से निकलकर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने चाहिए, क्योंकि अगर भारत यहाँ सिरीज जीतने में कामयाब रहा तो उसकी प्रतिष्ठा में फिर बढ़ोतरी हो सकती है। फिलहाल धोनी और टीम इंडिया दोनों ही कुछ ऐसा ही सोच रहे होंगे। (वार्ता)