चो‍टिल सहवाग नहीं खेल पाएँगे विश्‍वकप!

-अजय बर्वे

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शीर्षक पढ़कर लगा ना झटका। जरा सोचिए जब इस खबर ने आज आपको इतना डरा दिया तो फिर उस वक्‍त क्‍या होगा जब वीरेन्द्र सहवाग सच में चोट की वजह से विश्‍वकप नहीं खेल पाएँगे। हर क्रिकेट प्रेमी के मन में यह सवाल उठता है कि सहवाग की अनुपस्थिति में ओपनिंग कौन करेगा?

सहवाग विस्‍फोटक बल्‍लेबाज हैं और टीम को शानदार शुरुआत देते हैं, इसमें उनका साथ देते हैं गौतम गंभीर। टीम में सहवाग नहीं होते हैं तो मैच में मजा ही नहीं आता। दर्शक जिस आतिशी शुरुआत की उम्‍मीद करते हैं वह सहवाग और गंभीर के बिना संभव नहीं है।

विश्वकप 2011 को शुरू होने में अब सिर्फ पाँच महीने ही बचे हैं और विश्‍वकप का पहला ही मैच भारत और बांग्‍लादेश के बीच खेला जाना है। 1983 के बाद हर भारतीय उम्मीद पाले बैठा है कि फिर कब वो मौका आएगा जब वह अपने देश की‍ क्रिकेट टीम को विश्‍वकप जीतते हुए देख पाएगा। खिलाड़ियों के फॉर्म को देखते हुए लगता नहीं कि लोगों की उम्मीद आसानी से पूरी हो जाएगी।

भारतीय टीम एक तरफ तो खराब फॉर्म से जूझ रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ नई समस्‍याएँ भी सिर उठा रही हैं। विश्‍व की सर्वश्रेष्‍ठ बेटिंग लाइनअप (?) वाली टीम इंडिया के सामने ओपनिंग बल्‍लेबाजों की समस्‍या आज भी है। टीम के ओपनिंग बल्‍लेबाज सहवाग और गौतम गंभीर में से एक भी चोटिल होता है तो टीम के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कि ओपनिंग के लिए किसे भेजा जाए।

सचिन अब ओपनिंग नहीं करते। उनके बाद नाम आता है दिनेश कार्तिक और मु‍रली विजय का। ये दोनों ही बेशक अच्‍छे बल्‍लेबाज हैं, लेकिन इन्हें भरोसेमंद ओपनर नहीं कहा जा सकता। यह दोनों टीम को अच्‍छी शुरुआत तो दे ही नहीं पाते, बल्कि आने वाले बल्‍लेबाजों पर दबाव जरूर बना जाते हैं। जब टीम के पास गेंदबाजों की कमी हो तो एक बड़ा लक्ष्‍य विरोधी टीम के मनोबल पर दबाव डालने के लिए काफी होता है, लेकिन उसके लिए अच्छी शुरुआत की जरूरत होती है।

कार्तिक और मुरली विजय पर चयन समिति और कप्‍तान लंबे समय से भरोसा दिखाकर ओपनिंग करवा रहे हैं, लेकिन दोनों ही खिलाड़ी इस लायक नजर नहीं आते कि उन पर और भरोसा किया जा सके। किसी भी टीम के ओपनर से उम्‍मीद की जाती है कि वह 9 गेंद खेलकर 25 रन बनाए ना कि 25 गेंद खेलकर 9 रन बनाए और फिर आउट हो जाए। ज्‍यादा अच्‍छा यह होगा कि इनकी बजाय अब मनीष पांडे, चेतेश्‍वर पुजारा और शिखर धवन जैस युवा ओपनिंग बल्‍लेबाजों को मौका दिया जाए।

उत्‍तरांचल के 20 वर्षीय मनीष पांडे कर्नाटक की रणजी टीम के लिए खेलते हैं। उन्होंने अब तक खेले 18 प्रथम श्रेणी के मैचों में 71.99 की औसत से 1203 रन बनाए हैं, जिसमें 4 शतक और 7 अर्धशतक श‍ामिल हैं। मनीष ने आईपीएल में भी शानदार बल्‍लेबाजी का प्रदर्शन किया है।

24 वर्षीय शिखर धवन दिल्‍ली से हैं और अब तक 50 प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने लगभग 47 के औसत से 3408 रन बनाए हैं जिसमें 9 शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैंगुजरात के चेतेश्‍वर पुजारा भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 49 मैचों में चार हजार के लगभग रन बना चुके हैं, जिसमें 14 शतक और 13 अर्धशतक शामिल हैं। पुजारा टीम के मध्‍यक्रम में बल्‍लेबाजी करते हैं।

इन युवा बल्‍लेबाजों में जोश के साथ ही दम भी नजर आता है। यदि उचित मौका दिया जाए तो ये बल्‍लेबाज टीम इंडिया में भविष्‍य के अच्‍छे ओपनर के रूप में शामिल हो सकते हैं। भारतीय टीम का मध्‍यक्रम हमेशा से मजबूत रहा है जरूरत रही है तो सिर्फ ओपनिंग और गेंदबाजी में सुधार की, लेकिन वर्तमान में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती ओपनिंग बल्‍लेबाजी ही है जिससे जल्‍द निजात पाना जरूरी है नहीं तो वर्तमान में चल रही त्रिकोणीय श्रृंखला में भारतीय टीम की जो हालत है, यही हाल विश्‍वकप में भी होगें।

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