विश्व कप विजेता टीम के अहम सदस्य और सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर चुने गए सैय्यद किरमानी ने कहा कि क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स पर तिरंगा फहराने की ख्वाहिश की बदौलत ही भारत 1983 फाइनल में दो बार के चैम्पियन वेस्टइंडीज को हराने में कामयाब हुआ।
किरमानी ने कहा कि जब हम भारत से निकले थे तो जेहन में था कि नाकआउट तक पहुँच जाएँ तो हमारे लिए यही सबसे बड़ी उपलब्धि रहेगी। विश्व कप जीत पाएँगे, यह तो सोचा नहीं था।
आठ मैचों में विकेटों के पीछे 14 शिकार कर सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर का पुरस्कार जीतने वाले किरमानी ने 25 जून को भारतीय विश्व कप जीत की रजत जयंती से पूर्व दिए साक्षात्कार में कहा कि हम विश्व कप में चौथी कमजोर टीम थे और हमें उम्मीद नहीं थी कि हम इतिहास रच पाएँगे।
अपने 12 साल के करियर में 88 टेस्ट में 38 स्टंप और 160 कैच तथा 49 वनडे मैचों में नौ स्टंप और 27 कैच लपकने वाले विकेटकीपर ने कहा कि हालाँकि हमारे मन में था कि लॉर्ड्स पर देश का झंडा नजर आए। भाग्य ने साथ दिया और हम स्वर्णिम इतिहास रच सके।
किर्री के नाम से मशहूर विकेटकीपर ने जिम्बॉब्वे के खिलाफ लीग मुकाबले में तीन कैच और दो स्टंप कर उस समय विश्व रिकार्ड बनाया था।
यह पूछे जाने पर कि वर्ष 1975 और 1979 में विजेता रही टीम के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर उतरे थे तो क्या जीत दिमाग में थी? इस पर उन्होंने कहा हमारी टीम ने 183 रन का स्कोर बनाया जो काफी कम था। हमें कुछ सोचने की जरूरत ही नहीं थी क्योंकि हमारे लिए फाइनल में पहुँचना ही सबसे बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन खिलाड़ियों को अपनी काबिलियत पर यकीन था और इसी के बूते पर हम जीत का परचम लहरा सके।
वर्ष 1983 विश्व कप को उलटफेरों की दास्ताँ भी कहा जाता है और फाइनल मैच भी इससे इतर नहीं रहा। कपिल देव की अगुवाई में भारत ने पहले खेलते हुए 183 रन बनाए जो वेस्टइंडीज के लिए अदना-सा ही लक्ष्य था लेकिन मोहिंदर अमरनाथ और मदनलाल की गेंदबाजी के आगे घुटने टेकते हुए मजबूत विंडीज टीम 140 रन के स्कोर पर ही ढह गई।
न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट और वनडे में आगाज करने वाले किरमानी ने फाइनल मैच में 14 रन बनाकर 183 रन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को लीग मैच में हराने के बाद टीम में गजब का आत्मविश्वास भर गया था।
अपने करियर में विकेट के पीछे भारत की महशूर स्पिन चौकड़ी की गेंदों का सामना करने वाले देश के इस महान विकेटकीपर ने फाइनल में मिली जीत का श्रेय सकारात्मक सोच और खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को देते हुए कहा सच कहूँ तो हमारे पास खोने को कुछ नहीं था इसलिए हमने हर मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। हमारी सोच सकारात्मक रही इसलिए हर मैच बढ़िया होता रहा। किस्मत भी हमारे साथ रही। हम मैच जीतते गए और जीत की लय बन गई।
किरमानी ने इंग्लैंड के गोडफ्रे इवांस जैसे सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर से पुरस्कार हासिल करने को भी जिंदगी का महत्वपूर्ण क्षण करार दिया।
उन्होंने कहा गोडफ्रे इवांस से चाँदी के दस्ताने और चाँदी की गेंद का पुरस्कार लेना बहुत सम्मान की बात थी। ड्रेसिंग रूम के माहौल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कोई भी खिलाड़ी दबाव में नहीं था कोई तनाव नहीं था। माहौल सकारात्मक था। सब फाइनल में पहुँचने का आनंद उठा रहे थे। शायद यही जीतने का मूल मंत्र भी रहा।
किरमानी ने 24 रन बनाकर जिम्बॉब्वे के खिलाफ पहले राउंड के मैच में कपिल के साथ नौंवे विकेट के लिए नाबाद 126 रन की साझेदारी कर टीम को 31 रन से जीत दिलाने में भी महतत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। कपिल इस मैच के नायक रहे थे। यह अभी तक विश्व कप में नौंवे विकेट की रिकार्ड भागीदारी है। (भाषा)