दुनिया बदलने चले हैं 7 शहर

मंगलवार, 14 जून 2016 (12:15 IST)
आधी दुनिया शहरों में रहती है। शहरों पर बोझ बढ़ रहा है। ऐसे ही चलता रहा तो शहर ढह जाएंगे। लेकिन सात शहर हैं जो रास्ता दिखा रहे हैं कि इस बोझ को सहते हुए भी जीने लायक कैसे रहा जाए।
मेलबर्न : मेलबर्न के लोगों के लिए हरियाली सबसे जरूरी चीज है। ऑस्ट्रेलिया के इस शहर में 480 हैक्टेयर जमीन पर पार्क बने हैं। पिछले कुछ दशकों में 46 हैक्टेयर जमीन पर बनी गलियों और पार्किग स्पेस को हरे-भरे पार्क में बदला गया है।
 
शंघाई : दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक शंघाई ने कोयले को ना कहने का फैसला किया है। 2015 में जीवाश्म रहित ईंधन का इस्तेमाल चीन के शंघाई में 2010 से दोगुना हो गया।
 
फ्राईबुर्ग : लोगों को अपनी कार न उठानी पड़े, इसलिए जर्मनी के फ्राईबुर्ग ने ट्रामों का ऐसा नेटवर्क बिछा दिया है कि कोई भी नागरिक ट्राम से 300 मीटर से ज्यादा दूर न हो।
 
वैंकुवर : कनाडा के वैंकुवर ने 2010 में ग्रीनेस्ट सिटी 2020 का खांका तैयार किया। उसके बाद से ऐसी कोशिशें की जा रही हैं कि रोजगार, रहन-सहन और खान-पान हर चीज को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके।
 
सिंगापुर : सिंगापुर में बारिश की एक-एक बूंद को सहेजा जाता है। समुद्र से घिरे इस शहर वाले देश में पानी बाहर से लाना बेहद महंगा है। इसलिए पानी बचाना ही जीवन है।
 
पुणे : आना-जाना आसान करने के लिए बसों की खास लेन बनाने का यह आइडिया पुणे को साउथ कोरिया से मिला था। 30 किलोमीटर लंबी लेन बनाई गई हैं जिनमें सिर्फ बसें चलती हैं। कम वक्त में मंजिल पर पहुंचाने के लिए।
 
बार्सिलोना : शहर के अंदर ही 2000 से ज्यादा किस्मों के पौधे, 28 प्रजातियों के जानवर, 184 प्रजातियों के पक्षी। इसके अलावा मछलियां, सृसर्प और कुदरत का हर हिस्सा जीवन के करीब लाया गया है ताकि जीवन और प्रकृति साथ-साथ रहें। अब देखिये, दुनिया के सबसे बदनाम शहरों को। ऊपर जो 'और' लिखा है, उस पर क्लिक कीजिए।

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