उन्होंने बताया, "वे इंसानी तस्करी के पीड़ित हैं जिन्हें झांसा देकर यहां लाया गया है।" सिहिते ने बताया कि इन लोगों का स्वास्थ्य ठीक है और अब उन्हें एक इमिग्रेसन डिटेंशन सेंटर में भेजा गया है। वहां से उन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जाएगा।
इनमें 39 साल का महबूब भी शामिल है, जिसके हवाले से एक ऑनलाइन न्यूज पोर्टल 'ट्रिब्यून मेदान' ने लिखा है कि कुछ लोग तो तीन महीनों से वहां बंद थे। महबूब ने कहा, "हम सब को ठगा गया है। हमें मलेशिया ले जाने का वादा किया गया था। हम बांग्लादेश से बाली पहुंचे और बस में चार दिन सफर करने के बाद यहां पहुंचे हैं।"
सिहिते कहते हैं कि ये लोग रोहिंग्या मुसलमान नहीं हैं। हाल के दिनों में बहुत से रोहिंग्या लोग नौकाओं पर सवार होकर इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पहुंचे हैं, जिनमें से ज्यादातर मलेशिया जाना चाहते हैं। म्यांमार में हिंसा से बचने के लिए लाखों रोहिंग्या लोग बांग्लादेश और दूसरे देशों में गए हैं।