हैदराबाद। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक देखा जाए तो वह अपने आप में पूरी दुनिया है। अपने 1 अरब से ज्यादा खाताधारकों की संख्या के चलते आबादी के मामले में यह दुनिया का तीसरा बड़ा देश हो सकता है। कंपनी इन्हें अपना मासिक सक्रिय उपयोक्ता (एमएयू) मानती है। लेकिन जब इन्हीं एमएयू की बात की जाती है, तो कंपनी के आंकड़े कहते हैं कि इसमें नकली खातों की संख्या करीब-करीब 25 करोड़ तक हो सकती है।
कंपनी का कहना है कि नकली खाते ऐसे खाते हैं, जो किसी उपयोक्ता द्वारा अपने प्रमुख खाते के अलावा बनाए जाते हैं, वहीं गलत खाते ऐसे खाते हैं, जो आमतौर पर कारोबार, किसी संगठन या गैर-मानवीय इकाई द्वारा बनाए जाते हैं। इसमें फेसबुक पेज का इस्तेमाल करने वाले खाते भी शामिल हैं।
गलत खातों में दूसरी श्रेणी ऐसे खातों की है, जो एकदम फर्जी होते हैं। ये किसी उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं, जो फेसबुक पर स्पैम का सृजन करते हैं और उसकी सेवा के नियम-कानूनों का उल्लंघन करते हैं।
कंपनी ने कहा कि दुनियाभर में उसके रोजाना सक्रिय उपयोक्ता की औसत संख्या 9 प्रतिशत बढ़कर 2018 में 1.52 अरब रही, जो 2017 में 1.40 अरब थी। कंपनी के रोजाना सक्रिय उपयोक्ताओं की संख्या बढ़ाने में भारत, इंडोनेशिया और फिलीपीन्स जैसे देशों की अहम भूमिका है।