मर्दों के सपने औरतों से अलग

DW

बुधवार, 10 सितम्बर 2014 (12:17 IST)
सपने सब देखते हैं लेकिन कभी सोचा है कि क्या हम औरों जैसे ही सपने देखते हैं? रिसर्चरों का कहना है कि महिलाओं और पुरुषों के सपने एक दूसरे से अलग होते हैं।

जर्मन शहर मानहाइम में सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर मेंटल हेल्थ के प्रोफेसर मिषाएल श्रेडल के मुताबिक, 'मर्द अक्सर सेक्स और आक्रामक मुद्दों से जुड़े सपने देखते हैं जबकि औरतें घरेलू कामों और कपड़ों के बारे सपने देखती हैं।'

जर्मनी में ही फाल्स क्लीनिक में नींद पर शोध करने वाले केंद्र के प्रमुख हंस गुंटर वीस ने बताया कि मर्दों के सपनों में अनजान लोगों के दिखाई देने की ज्यादा संभावना होती है जबकि औरतें ज्यादातर उन्हीं लोगों को देखती हैं जिन पर वे विश्वास करती हैं। रिसर्चरों के मुताबिक बच्चों को सपने में अक्सर जानवर दिखाई देते हैं।

कैसे आते हैं सपने : इस बारे में कई मिथक हैं। कोई कहता है कि सपनों का हकीकत से कोई लेना देना नहीं है, तो किसी का मानना है सपने हमारे अनुभवों की झलक हैं और इन पर हमारा कोई बस नहीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि नींद के कई चरण होते हैं।

इन्हें आम बोलचाल में कच्ची नींद और पक्की नींद कहा जाता है। पक्की नींद में दिमाग इतना शांत हो चुका होता है कि सपने नहीं देखता। कच्ची नींद में बहुत हलचल होती है। इस दौरान आंखों की पुतलियां भी हिलती रहती हैं। इसे रैपिड आई मूवमेंट या आरईएम कहा जाता है। यह अवचेतन मन की स्थिति है।

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि जगे होने और आरईएम के बीच एक चरण होता है, जब अच्छे सपने आते हैं। इसे चेतना और अवचेतना के बीच की स्थिति बताया गया है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को पता होता है कि वह सपना देख रहा है और अगर वह कोशिश करे तो अपने सपनों पर नियंत्रण भी कर सकता है।

- एसएफ/एएम (डीपीए/एएफपी)

वेबदुनिया पर पढ़ें