बस्तर के बांसुरी के दीवाने

मंगलवार, 31 मार्च 2015 (14:03 IST)
छत्तीसगढ़ की बांसुरी की धुन अब इटली समेत कई पश्चिमी देशों तक पहुंच गई है। बस्तर के शिल्पग्राम को हाल ही में दिल्ली की एक निर्यात कंपनी की ओर से दो हजार बांसुरियां बनाने का ऑर्डर मिला है।
बस्तर में बनने वाली इस बांसुरी की खासियत है कि इसे फूंककर बजाने के अलावा इसे लहराने से भी मधुर ध्वनि निकलती है। नारायणपुर स्थित छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक बीके साहू के अनुसार बांसुरी की मांग न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी खूब है। इटली, स्वीडन, फ्रांस, मेडागास्कर और कई अन्य देशों में इसे भेजा जाता है। नई दिल्ली की एक निर्यात कंपनी ने हाल ही में दो हजार बांसुरियों का ऑर्डर दिया है।
 
शिल्पग्राम में शिल्पी बांसुरी तैयार कर रहे हैं। वहीं बांसुरी के प्रशिक्षक संतोष पॉल और प्राणजीत देव बर्मन ने बताया कि इस बांसुरी पर चित्रकारी करने के बाद इसकी मांग और ज्यादा बढ़ जाती है।
 
गढ़बेंगाल के पंडीराम मण्डावी बांसुरी कला के प्रदर्शन के लिए दो बार इटली और दो बार रूस की यात्रा कर चुके हैं। इस बांसुरी को मुख्यतः बस्तर के कलाकार तैयार करते हैं। साथ ही इसे महानगरों में संचालित छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड के स्टॉल में बिक्री के लिए रखा जाता है।
 
बस्तर में इस बांसुरी की कीमत महज सौ रूपये तक है। मगर विदेशों में इसे एक हजार रूपये तक बेचा जाता है। इस कला का एक पहलू यह भी है कि शिल्पग्राम में रहने वाले बहुत से लोग नक्सल पीड़ित हैं। इन्हें रोजी रोटी कमाने के लिए बांस की कलाकृति बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है।
- एमजे/आईबी (वार्ता)

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