अन्य कारकों में शामिल हैं कि क्या सरकार समर्थक ट्रोल ऑनलाइन बहस में हेरफेर करना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 'इस साल यूजर्स को 41 देशों में अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के कारण शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ा।' रिपोर्ट में कहा गया कि 11 साल पहले ट्रैकिंग शुरू होने के बाद से यह 'रिकॉर्ड स्तर' पर है।
रिपोर्ट में कुछ उदाहरण दिए गए हैं। जैसे कि सोशल मीडिया पर कथित 'सरकार विरोधी गतिविधियों' के लिए पिटाई के बाद अस्पताल में भर्ती एक बांग्लादेशी छात्र और एक मैक्सिकन पत्रकार की हत्या, पत्रकार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उसने एक गैंग पर हत्या का आरोप लगाया था।
फरवरी में सैन्य जुंटा द्वारा सत्ता पर कब्जा करने और इंटरनेट बंद कर सोशल मीडिया को अवरुद्ध करने और तकनीकी कंपनियों को व्यक्तिगत डेटा सौंपने के लिए मजबूर करने के बाद म्यांमार की रिपोर्ट में भारी आलोचना की गई है। सर्वेक्षण द्वारा कवर की गई अवधि में कुल मिलाकर कम से कम 20 देशों ने जून 2020 और मई 2021 के बीच लोगों की इंटरनेट तक पहुंच को अवरुद्ध किया।
इंटरनेट आजादी के मामले में कुछ देशों की रैंकिंग अच्छी है। आइसलैंड रैंकिंग में सबसे ऊपर है उसके बाद एस्टोनिया और कोस्टा रिका जिन्होंने इंटरनेट पहुंच को मानव अधिकार घोषित किया है। वहीं चीन को इंटरनेट स्वतंत्रता के मामले दुनिया का सबसे खराब देशों में रखा गया है, जिसने ऑनलाइन असहमति के लिए भारी जेल की सजा दी।