इस्तांबुल में कितना यूरोप बसता है?

Webdunia
मंगलवार, 3 अप्रैल 2018 (11:30 IST)
यूरोप और तुर्की में जो साझी चीजें हैं उनमें एक है इस्तांबुल। करीब डेढ़ करोड़ लोगों का शहर केवल भौगोलिक रूप से ही यूरोप का हिस्सा नहीं है। एक नजर विषमताओं से भरे इस शहर पर।
 
इस्तांबुल यूरोप का या एशिया का?
इस्तांबुल दुनिया के उन शहरों में सबसे नामचीन है जो दो महादेशों में हैं। यूरोप और एशिया में बसे इस्तांबुल में परंपरा का आधुनिकता, धर्म और धर्मनिरपेक्ष जीवनशैली से मेल होता है। कई लोग मानते हैं कि यही चीज इस शहर को जादुई बना देती है।
 
दो हजार साल से पुराना शहर
इस्तांबुल का इतिहास करीब 2600 साल तक जाता है और इसकी झलक आज के शहर में भी दिख जाएगी। कई शासकों ने इस पर कब्जे की कोशिश की जिनमें ईरानी, ग्रीक, रोमन और ओटोमन प्रमुख हैं। कांस्टान्टिनोपोल बाइजानटीन और बाद में ओटोमन साम्राज्य का केंद्र था। 1930 में शहर का नाम दोबारा इस्तांबुल कर दिया गया।
 
दो दुनिया के बीच
बोस्पोरस इस्तांबुल की आत्मा है। यह जलडमरुमध्य यूरोपीय शहर के यूरोपीय और एशियाई इलाकों को जोड़ता है। हर दिन दसियों हजार लोग फेरी से किनारे बदलते हैं। समुद्री चिड़िया चहचहाती रहती है और फेरियों में लोगों को चाय के साथ तिल वाली ब्रेड सिमित परोसी जाती है। यूरोप के काराकोय से एशिया के कादिकोय का सफर 20 मिनट का है।
 
महादेशों के बीच पुल
गलाता ब्रिज नावों के साथ और भी बहुत कुछ दिखाती है। मछुआरे अच्छे शिकार की खोज में यहां आपस में होड़ करते हैं। उन्हीं के बीच व्यापारी, सैलानी, जूते पॉलिश करने वाले, मक्का बेचने वाले भी दिखते हैं। यहां पहला पुल 1845 में बना था तब शहर को कॉन्स्टांटिनोपोल कहा जाता था।
 
"यूरोप एक अहसास है"
हाथ हिलाते एक मछुआरे ने कहा, "मेरा नाम वेफ्की है, मैं खुद को यूरोपीयन महसूस करता हूं। हम ज्यादा आजादी चाहते हैं और इसके लिए तुर्की और यूरोपीय संघ को फिर से पास आना चाहिए।" वेफ्की को पेंशन मिलती है और मछली पकड़ना उनका शौक होने के साथ ही कमाई का दूसरा जरिया है। बाजार में वो 2 किलो मछली करीब 550 रूपये में बेचते हैं।
 
शहर के दिल में मीनारें
तातसिम चौराहे को शहर का दिल भी कहा जाता है। यहां बड़ी तेजी से एक मस्जिद बनाई जा रही है। इसमें 30 मीटर ऊंचा गुम्बद और दो मीनारें होंगी। 2019 के आम चुनाव से पहले इसे पूरा करने का लक्ष्य है। आलोचक कहते हैं कि राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्दोवान चौराहे पर नई पहचान थोप रहे हैं।
 
यूरोपीय और पवित्र
इस्तांबुल के फातिह इलाके में रोजमर्रा की जिंदगी थोड़ी ज्यादा रुढ़िवादी है, हालांकि यह शहर के यूरोपीय हिस्से में हैं। यहां रहने वाले ज्यादातर लोग एनातोलिया से काम और बेहतर जिंदगी की तलाश में आए हैं। कुछ लोग फातिह को "पवित्र शहर" कहते हैं। तुर्की के राष्ट्रपति और सत्ताधारी पार्टी के बहुत से समर्थक यहीं रहते हैं।
 
मस्जिद के साये में खरीदारी
फातिह की मस्जिद के पास हर बुधवार को एक बाजार लगता है। लोग रसोई का सामान, कपड़े, चादर, फल और सब्जियां खरीदने के लिए बड़ी संख्या में उमड़ते हैं। शहर की दूसरी दुकानों की तुलना में कीमतें कम होती हैं, क्योंकि यहां किराया कम है। आजकल कई सीरियाई परिवार बी फातिह में रहते हैं। तुर्की ने सीरिया में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद किसी भी देश से ज्यादा यानी करीब 30 लाख शरणार्थियों को पनाह दी है।
 
इस्ताबुल में छोटा सीरिया
फातिह की एक पहचान सीरियाई रेस्तरां भी हैं। यहां की कवाब में तेज लहसुन का जायका होता है। शरणार्थियो को आधिकारिक रूप से "मिसाफिर" या "गेस्ट" कहा जाता है। यूरोपीय संघ की तरह यहां शरण देने का को आधिकारिक तरीका नहीं है। बावजूद इसके सरकार ने हजारों सीरियाई लोगों को तुर्की की नागरिकता का वादा किया है। आलोचक इसे वोट हासिल करने का हथकंडा बताते हैं।
 
नाइटलाइफ
जो लोग यहां बाहर निकल कर पार्टी करना या फिर शराब पीना चाहते हैं उन्हें इस्तांबुल के पड़ोस में दूसरे इलाके में एशिया की तरफ कादीकोय या फिर काराकोय की तरफ जाना होता है। तस्वीर में दिख रहा कारोकोय पुराने इलाकों में है। यहां कैफे, कॉन्सेप्ट स्टोर्स और गैलरियों में स्थानीय लोग और सैलानी मिलते हैं।
 
सैलानियों से उम्मीद
आयेशगुल साराकोग्लू गालाता के एक डिजाइनर स्टोर में काम करती हैं जो सैलानियों में बड़ा मशहूर है। वो कहती हैं, "इस्तांबुल बहुत बदल गया है। बहुत सारे यूरोपीय सैलानी यहां हाल के वर्षों तक आते हैं ज्यादातर अरब सैलानी ही आते हैं। यह हमारे व्यापार के लिए बहुत अच्छा नहीं है। मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही बदलाव होगा।"

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