युद्ध में घायल जवानों को जिंदा रखेगी दवा

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014 (14:42 IST)
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने ऐसी दवा तैयार की है जो युद्ध में बुरी तरह जख्मी सैनिकों को चिकित्सा केंद्र तक पहुंचने तक जिंदा रखने में मदद करेगी। इसकी मदद से युद्धस्थल पर जान गंवाने वाले सैनिकों की संख्या कम की जा सकेगी।

रिसर्चरों का दावा है कि लड़ाई में बुरी तरह घायल हुए सैनिकों की जान बचाने के लिए यह अब तक की सबसे बड़ी खोज होगी। यह दवा मदद मिलने तक जख्मी का रक्तचाप बढ़ा कर रखेगी। इस इलाज को जेम्स कुक यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जेफरी डॉब्सन ने विकसित किया है। उनके मुताबिक, 'पिछले 10 सालों में इराक और अफगानिस्तान में करीब 5000 सैनिक मारे जा चुके हैं।

इनमें से 87 फीसदी जख्मी होने के 30 मिनट के अंदर ही जान गंवा देते हैं, इससे पहले कि उन्हें चिकित्सा केंद्र तक पहुंचाया जा सके। यही शुरुआती समय सबसे महत्वपूर्ण होता है।' डॉब्सन के मुताबिक अगर इन्हें समय पर चिकित्सा केंद्र पहुंचाया जा सकता तो इनमें से 25 फीसदी की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने कहा, 'हमारी नई दवा की मदद से इनमें से करीब 1000 सैनिकों की जान बचाई जा सकती थी।'

डॉब्सन ने इस दवा को रिसर्च सहायक हेली लेट्सन के साथ मिलकर विकसित किया है। उनकी दवा से जख्मी सैनिक के शरीर का रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे शुरुआती कुछ घंटों में मरीज की जान रक्तचाप घटने के कारण नहीं होती। डॉब्सन ने बताया, 'अगर रक्तचाप बहुत कम हो जाता है तो सैनिक मर जाता है। और अगर घाव की जगह का रक्तचाप बहुत बढ़ जाता है तो रक्त का दबाव थक्के को भी तोड़ देता है और खून फिर से बहने लगता है।'

इस दवा की खासियत यह भी है कि इसे बहुत कम मात्रा में लेना होता है। सैनिक को घायल होते ही पहली बार छोटी सी डोज दी जाती है और दूसरी उसे वापस सामान्य स्थिति में लाने के लिए तब दी जाती है जब वह सुरक्षित स्थान पर ले आया जाता है।

प्रोफेसर ने बताया कि इस दवा को चूहों और सुअरों पर आजमाया जा चुका है। अब आगे अमेरिकी आर्थिक मदद से और भी ट्रायल किए जाएंगे। संभव है कि इससे उन माओं की भी मदद की जा सके जिनका प्रसव के दौरान काफी खून बह जाता है। इस इलाज में अमेरिकी सैन्य विभाग की दिलचस्पी दिखाई दे रही है। उन्होंने अगले साल इस दवा के इंसानों पर टेस्ट किए जाने के लिए 4.7 लाख अमेरिकी डॉलर की आर्थिक मदद की हामी भरी है।

- एसएफ/एमजे (एएफपी)

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