बड़ी संख्या में पेड़ लगाना जलवायु परिवर्तन को रोकने का अच्छा तरीका हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका जितने क्षेत्रफल में पेड़ लगाने से कार्बन उत्सर्जन को दो तिहाई तक कम किया जा सकता है। धरती पर इतनी जगह है।
मौसम इंसानी जिंदगी के सबसे अहम हिस्सों में से एक है। आज कल मौसम तेजी से बदल रहा है। गर्मियों में ज्यादा गर्मी पड़ रही है और सर्दियों में ज्यादा सर्दी। बारिश असामान्य तरीके से हो रही है। कहीं बहुत ज्यादा और कहीं बहुत कम। इन सबके पीछे एक ही वजह बताई जाती है, धरती का लगातार ग्रम होना और उसकी वजह से जलवायु परिवर्तन। ये एक ऐसी समस्या है जिससे पूरा विश्व जूझ रहा है।
स्विट्जरलैंड के एक वैज्ञानिक द्वारा छापी गई रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है। इसके लिए एक काम करना होगा। पूरी दुनिया में पेड़ लगाना। वो भी 1000 अरब यानि पूरे 10 खरब पेड़। इतने पेड़ लगाने के लिए अमेरिका के क्षेत्रफल के बराबर यानी 96।3 लाख वर्ग किलोमीटर जगह चाहिए होगी। इसी रिपोर्ट में लिखा गया है कि दुनिया में पेड़ लगाने के लिए इतनी खाली जगह मौजूद है। इसके लिए अनाज उपजाने वाले खेतों का इस्तेमाल नहीं करना होगा।
वैज्ञानिक टॉम क्राउटर ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के हर समाधान के लिए हमें अपने व्यवहार में अंतर करना होगा। हमें राजनीतिज्ञों से भी कई सारे निर्णयों की उम्मीद है चाहे वो जलवायु परिवर्तन को मानते हों या नहीं। पेड़ लगाने का यह समाधान ना सिर्फ सबसे बढ़िया उपाय है बल्कि ऐसा उपाय है जिसमें दुनियाभर के सभी लोग शामिल हो सकते हैं।"
इस रिसर्च के मुताबिक अगर आने वाले दशकों में इतने पेड़ लगाए जाएं तो ये 830 अरब कार्बन डाई ऑक्साइड को सोख सकेंगे। यह मात्रा कुल मिलाकर पूरे 25 साल में फैले कार्बन प्रदूषण की है।
क्राउटर ने कहा, "यह एक बहुत सस्ता उपाय है लेकिन ये टिकेगा तभी जब कार्बन उत्सर्जन में कमी की जाए।" दूसरे वैज्ञानिकों का भी कहना है कि जलवायु परिवर्तन को तेजी से ठीक करने के लिए कुछ व्यावहारिक परिवर्तन करने ही होंगे। जैसे मांसाहार में कमी करना। इस रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल रूस, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और चीन में पेड़ लगाने के लिए सबसे ज्यादा खाली जगह है। हाल के दशकों में ब्राजील तेजी से घट रहे जंगलों के चलते चर्चा में है।
पेड़ लगाने का फायदा जल्दी ही दिखने लगेगा क्योंकि पेड़ युवा अवस्था में ज्यादा तेजी से हवा से ऑक्सीजन को सोखते हैं। पेड़ लगाने से जैव विविधता भी बनी रहेगी। साथ ही, जैव विविधता की कमी से आ रही बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा। कुछ वैज्ञानिक इस रिसर्च से सहमत नहीं हैं और उन्होंने इस रिसर्च के नतीजों पर संदेह जताया है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और वैज्ञानिक माइलेस एलेन ने कहा, "बड़ी मात्रा में पेड़ लगाना एक अच्छी रणनीति हो सकती है लेकिन यही सबसे अच्छा तरीका होगा, मुझे ऐसा नहीं लगता। इसके लिए जीवाश्म ईंधन जैसे कच्चे तेल के इस्तेमाल को बेहद कम कर के जीरो तक लाना होगा। इसके बिना जलवायु परिवर्तन को रोकना मुश्किल है।"
पेड़ों को लेकर भारत में भी तमाम बहसें चल रही हैं। मानसून में बारिश की कमी के बाद ये बहस तेज हो गई है। इसी बीच अहमदाबाद से मुंबई के बीच बन रही बुलेट ट्रेन के लिए मुंबई के आस पास 54,000 मैंग्रोव के पेड़ काटे जाने की सूचना महाराष्ट्र सरकार ने दी है। हालांकि सरकार का कहना है कि काटे गए हर एक मैंग्रोव के पेड़ के बदले पांच मैंग्रोव के पेड़ लगाए जाएंगे। इन मैंग्रोव के पेड़ों को काटे जाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
दिल्ली में भी पेड़ लगाने का एक बड़ा अभियान चलाने की तैयारी है। एक निजी कंपनी के सेल्स विभाग में काम करने वाले आदित्य सिंघल ने अपने साथियों के साथ मिलकर दिल्ली और एनसीआर के इलाके में 28 जुलाई को 10 लाख पेड़ लगाने की योजना बनाई है। पीपुल्स मूवमेंट- प्लांटेशन ऑफ 10 लाख ट्रीज इन दिल्ली एंड एनसीआर नाम से चलाए जा रहे इस अभियान में 250 स्कूल और कॉलेजों
मुख्य रूप से ये पेड़ स्कूलों और कॉलेजों के अलावा सरकारी जमीनों पर लगाने की योजना है ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। आदित्य और उनकी टीम का लक्ष्य दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद सहित आस पास के इलाकों में 20 छोटे-छोटे जंगल तैयार करना है। ये लोग जागरुकता अभियान चला रहे हैं और करीब 2 लाख लोगों द्वारा इसे समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए पैसा चंदे के रूप में इकट्ठा किया जा रहा है।