ब्रिटेन में हो रहे बवाल और हिंसा के पीछे क्या वजह है

DW

मंगलवार, 6 अगस्त 2024 (08:11 IST)
ब्रिटेन के साउथपोर्ट में हफ्ते भर से चल रही हिंसा और अशांति के बाद सरकार ने आपातकालीन बैठक बुलाई है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ सख्ती से निबटने की बात कही है।
 
साउथपोर्ट में पुलिस और उपद्रवियों की भीड़ के बीच कई झड़पें हुई। तीन लड़कियों की मौत के बाद शुरू हुई अशांति सप्ताहांत में ब्रिटेन के कई हिस्सों में फैल गई। अब तक 300 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। कई संदिग्धों को सोमवार के रोज अदालत में पेश किया गया। पुलिस प्रमुख और मंत्रियों  का दल वेस्टमिंस्टर में आपातकालीन बैठक कर रहा है। सरकार अशांति और उपद्रव से निपटने के उपायों पर चर्चा कर रही है।
 
हिंसा रोकने के लिए सेना को बुलाने के विचार को अब तक खारिज किया गया है। सरकार का कहना है कि पुलिस के पास जवाबी कार्रवाई के लिए जरूरी संसाधन मौजूद हैं। रविवार को प्रधानमंत्री कियर स्टार्मर ने देश को संबोधित किया और कहा कि इस धुर दक्षिणपंथी ठगी में जो लोग शामिल हैं उन्हें अफसोस होगा।
 
प्रधानमंत्री ने वादा किया है कि उपद्रव में शामिल लोगों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा। ब्रिटेन के गृह मंत्री ने भी कहा है कि अदालतें जल्दी से न्याय करने के लिए तैयार हैं। बेलफास्ट, लिवरपूल और साउथ टिनेसाइड में लोगों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया है।
 
कैसे शुरू हुआ बवाल
पिछले हफ्ते साउथपोर्ट में तीन लड़कियों पर चाकू से हमला हुआ। इन तीनों लड़कियों की मौत हो गई। हमले का संदिग्ध एक्सेल रुदाकुबाना नाम का ब्रिटेन में जन्मा 17 साल का एक किशोर है। उसने 10 और लोगों के हत्या की कोशिश की जिसमें आठ बच्चे थे। इसके बाद दक्षिणपंथी गुटों ने इस घटना का इस्तेमाल कर मुस्लिम विरोधी और आप्रवासी विरोधी भावनाओं को भड़काने में किया। ऐसी खबरें हैं कि गलत जानकारियों का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया के जरिए नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है।
 
आप्रवासी विरोधी दंगाइयों ने रोदरहैम शहर के होलिडे इन एक्सप्रेस होटल की खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए और फिर वहां आग लगा दी। 700 से ज्यादा लोगों की भीड़ में शामिल नकाबपोश दंगाइयों ने लकड़ियों के फट्टे, कुर्सियां और आग बुझाने वाले स्प्रे को पुलिस अधिकारियों पर फेंका। हिंसा में कम से कम 10 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इस होटल में आप्रवासी रहते हैं। रविवार की शाम को भी इसी तरह की घटना टैमवर्थ में हॉलिडे इन होटल में हुई। उस होटल में भी ब्रिटेन में शरण मांगने वाले कुछ लोगों के रहने की खबर थी। वहां भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई। उपद्रवियों ने कम से कम दो मस्जिदों को भी निशाना बनाने की कोशिश की है। इसके बाद गृह मंत्रालय ने मस्जिदों के आसपास सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए हैं।
 
कौन हैं उपद्रव करने वाले
जिन लोगों ने आप्रवासियों की रिहायश वाले होटलों और पुलिस अधिकारियों को नुकसान पहुंचाया है उनके धुर दक्षिणपंथी झुकाव होने की बात कही जा रही है। इसके साथ ही कुछ "ठग" और ऐसे लोग भी हैं जिनका वास्तव में इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। इन घटनाओं को हवा देने में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का भी जम कर इस्तेमाल हो रहा है।
 
हाल के वर्षों में कुछ गुट मुख्यधारा के दक्षिणपंथियों में आप्रवासियों की संख्या को लेकर चिंता भरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें ज्यादा उग्र विचारधारा के लिए उसाया जा रहा है। इसके लिए कमजोर संगठनात्मक ढांचे और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर संदेश पहुंचाया जा रहा है।
 
एक महीने पहले ही देश के प्रधानमंत्री चुने बने कियर स्टार्मर के लिए यह हिंसा और उपद्रव एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए हैं। सभी पार्टियों के सांसदों ने उनसे संसद का सत्र बुलाने की मांग की है ताकि इस समस्या पर निचले सदन में चर्चा हो सके। पुलिस का कहना है कि सप्ताहांत में 150 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
 
2011 के बाद से इसे ब्रिटेन में सबसे बड़ी हिंसा बताया जा रहा है। उस वक्त एक मिश्रित नस्ल वाले आदमी की पुलिस के हाथों हुई  मौत के बाद हिंसा भड़क उठी थी। 
एनआर/आरएस (डीपीए, एएफपी)

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