दुनिया भर में हर रोज दस लाख से ज्यादा लोग इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इनमें श्लामिडिया, गोनोरिया, ट्रिकोमोनियासिस और सिफलिस को लेकर सबसे ज्यादा चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, "दुनिया में रहने वाले औसतन 25 फीसदी लोग इनमें से किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित हैं।"
टियोडारा वी कहती हैं कि लोग इस बात को लेकर इस भरोसे में रहते हैं कि इन सब बीमारियों का इलाज है, इसलिए वे एचआईवी की भी ज्यादा परवाह नहीं कर रहे हैं। ऐसे में, कंडोम भी कम इस्तेमाल होते हैं जो बीमारियों को रोक सकते हैं। वह कहती हैं, "यौन संक्रमण से होने वाली बीमारियां हर जगह हैं। वे उससे भी कहीं ज्यादा आम हैं जितना हम सोचते हैं।"
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में 2016 तक के डाटा को शामिल किया गया है। इसके मुताबिक 15 से 49 साल की उम्र के बीच के महिला और पुरूषों में 12.7 करोड़ मामले श्लामिडिया के, 8.7 करोड़ मामले गोनोरिया के, 63 लाख मामले सिफलिस और 15.6 करोड़ मामले ट्रिकोमोनियासिस के देखे गए हैं। ये आंकड़े डब्ल्यूएचओ के पूर्व वैश्विक अनुमान से 5 प्रतिशत ज्यादा हैं।