तेजी से गरम हो रही दुनिया हमारे दौर की सच्चाई है। बड़ा सवाल है कि इसके कारण आने वाली आपदाओं का नुकसान कौन भरेगा? पाकिस्तान में आई बाढ़ पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का रुख भविष्य के लिए एक बड़ी नजीर तय कर सकता है। अनुमान है कि पुनर्निर्माण के लिए पाकिस्तान को लगभग 1 लाख 34 हजार करोड़ रुपए की रकम चाहिए।
'सवाल केवल इतना नहीं है कि कैसे जिंदा रहा जाए। यहां सवाल है कि अपना आत्मसम्मान और इज्जत कैसे बरकरार रखी जाए। मैं आपकी मदद मांग रहा हूं, उन लोगों के लिए जिन्होंने अपने जीवनभर की पूंजी, अपना घर, रोजी-रोटी गंवा दी और अब खुले आसमान के नीचे भीषण सर्दी का सामना कर रहे हैं। मैं उन लोगों के लिए नई जिंदगी मांग रहा हूं। हमें साथ मिलकर उनकी जिंदगी और उनके सपने दोबारा बनाने हैं।'
ये बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कही है। पीएम शरीफ जेनेवा में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। 'क्लाइमेट रीजिलियेंट पाकिस्तान' पर आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का मकसद था, 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ के असर से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद जुटाना। इस बाढ़ में कम-से-कम 1,700 लोग मारे गए और करीब 80 लाख लोग विस्थापित हो गए।
इस विभीषिका के असर की ओर ध्यान खींचते हुए शाहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए अगले 3 साल के भीतर अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से करीब 66 हजार करोड़ रुपए की मदद चाहिए। पाकिस्तान की अपील पर कई देशों ने मदद देने का ऐलान किया है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोआन भी इस सम्मेलन में ऑनलाइन शामिल हुए। यूएन की ओर से बातचीत की कमान संभाल रहे महासचिव अंटोनियो गुटेरेश सितंबर 2022 में पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। उन्होंने बाढ़ से कारण वहां हुई बर्बादी को 'जलवायु संहार' बताया था। शाहबाज शरीफ ने इस आपदा को 'आसमान से आई सुनामी' कहा।
उन्होंने बताया कि बाढ़ के कारण तत्काल प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या 3.15 करोड़ से ज्यादा थी। बाढ़ के पानी की तेज धार ने 8,000 किलोमीटर से ज्यादा सड़कों को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा 3,000 किलोमीटर से ज्यादा की रेलवे पटरियां क्षतिग्रस्त हुईं।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम शाहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को बताया कि उनकी सरकार ने रीकवरी, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है। इसके अंतर्गत बाढ़निरोधी डिजाइन और निर्माण की योजना है। साथ ही, एक बड़ी रकम अर्ली वॉर्निंग सिस्टम्स विकसित करने में भी खर्च की जाएगी।
किन देशों ने दिया मदद का आश्वासन?
अनुमान है कि पुनर्निर्माण के लिए पाकिस्तान को लगभग 1 लाख 34 हजार करोड़ रुपए की रकम चाहिए। पाकिस्तान को उम्मीद है कि करीब आधी राशि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद में मिलेगी। सम्मेलन के पहले सत्र में कई देशों ने मदद का भरोसा दिया।
पाकिस्तान की सूचना एवं प्रसारण मंत्री मरियम औरंगजेब ने एक ट्वीट में बताया कि यूरोपीय संघ ने (भारतीय मुद्रा में अनुमानित रकम) 765 करोड़ रुपए, जर्मनी ने 724 करोड़ रुपए, चीन ने 823 करोड़ रुपए, जापान ने 633 करोड़ रुपए और फ्रांस ने करीब 2,800 करोड़ रुपए की मदद का आश्वासन दिया है।
इसके अलावा इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक ने भी करीब 35 हजार करोड़ रुपए की मदद का आश्वासन दिया है। सऊदी अरब स्थित इस बैंक में कतर, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, कुवैत, इंडोनेशिया समेत कुल 57 सदस्य देश हैं। अमेरिका ने भी रिकवरी फंड में 823 करोड़ की अतिरिक्त मदद देने की बात कही है। इस रकम को मिलाकर अमेरिका की ओर से दिया जाने वाला योगदान करीब 1,646 करोड़ रुपए से ज्यादा हो जाएगा।
जलवायु परिवर्तन की सच्चाई और जरूरी सवाल
यूएन और पाकिस्तान दोनों ही बार-बार अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील करते आए हैं। दिसंबर 2022 में यूएन ने शिकायत की थी कि विनाशकारी बाढ़ के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पर्याप्त मदद नहीं दी। पाकिस्तान में एजेंसी के प्रतिनिधि क्रिस के ने बताया था कि फंड के अभाव में 15 जनवरी से वहां चल रहा यूएन का वर्ल्ड फूड प्रोग्राम रोकना पड़ सकता है। इस खाद्य मदद के अंतर्गत करीब 27 लाख लोगों को खाना खिलाया जाता है।
ऐसी आपदाओं की बढ़ती नियमितता के बीच बड़ा सवाल ये है कि इससे होने वाले जान-माल के नुकसान की भरपाई और जरूरी रणनीति तैयार करने के लिए फंड कहां से आएगा? अमीर देश कितना योगदान करेंगे? यह सवाल इसलिए भी जरूरी है कि कई वैज्ञानिक और जानकार मानते हैं कि क्लाइमेट चेंज के विनाशकारी असर एक लंबी प्रक्रिया का नतीजा हैं। दुनिया को गरम करने वाली ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और वातावरण, ज्यादातर औद्योगिक देशों का योगदान है। यह प्रक्रिया दशकों की गतिविधियों का नतीजा है।
महीनों बाद भी हालात गंभीर
इन्हीं सवालों के इर्दगिर्द संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण विकासशील देश जिस तरह नुकसान और घाटे का क्रूर अन्याय झेल रहे हैं, उस पर हमें ईमानदार होना होगा। अगर आपको नुकसान और विनाश पर कोई संदेह है तो पाकिस्तान जाइए। जलवायु परिवर्तन की तबाही वास्तविकता है।
उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि किसी भी और जगह के मुकाबले दक्षिण एशिया में लोगों के जलवायु परिवर्तन के असर से मरने का जोखिम 15 गुना ज्यादा है। गुटेरेश ने कहा कि पाकिस्तान ने जो झेला है, वैसा किसी देश के साथ नहीं होना चाहिए।
बाढ़ के महीनों बाद भी पाकिस्तान में प्रभावित इलाकों की स्थिति बेहद खराब है। बड़ी संख्या में लोग अब भी कामचलाऊ तंबुओं में रहने को मजबूर हैं। दक्षिणी सिंध और दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान के इलाकों में स्थिति खासतौर पर गंभीर है। यूनिसेफ के मुताबिक करीब 40 लाख बच्चे अब भी बाढ़ के बचे हुए प्रदूषित पानी के नजदीक रह रहे हैं। ये हालात जानलेवा हो सकते हैं। गंदे पानी का इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है।
कई जानकार जलवायु परिवर्तन के कारण आई विनाशकारी आपदाओं में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बेहद जरूरी बताते हैं। नवंबर 2022 में हुए जलवायु सम्मेलन में देशों के बीच क्लाइमेट चेंज के कारण हुए 'लॉस एंड डैमेज' से जुड़ा एक फंड बनाने पर सहमति बनी थी। इस फंड से जुड़े जरूरी पहलुओं पर जल्द फैसला ले लिए जाने की उम्मीद है। उस स्थिति में शायद ऐसी आपदाओं के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय मदद जुटाना ज्यादा आसान हो सकेगा।