वृषभ लग्न में तुला का मंगल दाम्पत्य में बाधक

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मंगल वृषभ लग्न में सप्तमेश व द्वाददेश होकर पंचम भाव संतान, विद्या, मनोरंजन, प्रेम के भाव में बुध की कन्या राशि में होने से उस जातक की संतान साहसी होगी। ऐसा जातक अपनी पत्नी से प्रेम करने वाला, आय के मामलों में ठीक रहकर बाहरी संबंध अच्छे होंगे। मंगल के साथ चंद्र हो तो भाइयों, मित्रों से सहयोग मिले। पराक्रम से, विद्या में सफल हो। बुध साथ हो तो विद्या के क्षेत्र में अच्छी सफलता पाने वाला होता है। धनवान, कुटुम्बवान होता है। वाणी प्रभावशाली होती है

गुरु साथ हो तो आय उत्तम हो लेकिन संतान, विद्या में रुकावट भी दे। शुक्र साथ हो तो लड़के अधिक हों, आय अच्छी हो, मैकेनिकल इंजीनियर, चिकित्सा आदि क्षेत्र में सफल हो। ऐसे जातक को हीरा या ओपल पहनना चाहिए। शनि साथ हो तो संतान से दु:खी, पत्नी की जल्दी मृत्यु हो। भाग्य में अवरोध, बाहरी संबंध खराब हों। नौकरी, व्यापार में बाधा रहे। राहु साथ हो तो गुप्त विद्या व अँग्रेजी का जानकार बने, तंत्र-मं‍त्र में रुचि हो।

केतु साथ हो तो विद्या में बाधा, संतान कष्ट हो, मंगल षष्ठ भाव में तुला राशि का हो तो सप्तम से द्वादश होने के कारण दाम्पत्य जीवन में बाधा का कारण बन सकता है। लेकिन बाहरी संबंध अच्छे हों, भाग्य साथ दे लेकिन शत्रुअओं से परेशान रहे। मंगल के साथ चंद्र हो तो साझेदारी में नुकसान हो। सूर्य साथ हो तो पारिवारिक सुख में कमी रहे। मकान बनने में देरी हो, माता को कष्ट रहे।
  बुध साथ हो तो प्रेम विवाह के योग बने। गुरु साथ होने पर जीवनसाथी श्रेष्ठ हो लेकिन साहस, बल अधिक हो सर्विस वाला हो। शुक्र साथ हो तो उसका जीवनसाथी सेक्सी हो, शनि साथ हो तो जल्द विधवा या विधुर हो। राहु साथ हो तो पति-पत्नी में अनबन हो।      


बुध साथ हो तो विद्या में मन ना लगे। शुक्र साथ हो तो भोगी किस्म का बनाए। परिश्रम अधिक करना पड़े। नाना-मामा से लाभ रहे। दाम्पत्य जीवन नष्ट हो या जल्द विवाह विच्छेद हो। राहु साथ हो तो गुप्त रोग हो। परेशानियाँ अधिक हों, गुप्त शत्रु हों, कर्ज बढ़े। केतु साथ होने पर पशु द्वारा चोट लगे। मंगल लग्न में हो तो मांगलिक पत्रिका हो लेकिन स्वराशिस्थ मंगल होने से मांगलिक दोष न हो। ऐसे जातक का जीवनसाथी दबंग हो

चंद्र साथ हो तो मित्रों, सा‍झेदारियों से न बने। भाइयों, देवरों से भी ना बने। सूर्य साथ हो तो पारिवारिक जीवन सुखद रहे। बुध साथ हो तो प्रेम विवाह के योग बने। गुरु साथ होने पर जीवनसाथी श्रेष्ठ हो लेकिन साहस, बल अधिक हो सर्विस वाला हो। शुक्र साथ हो तो उसका जीवनसाथी सेक्सी हो, शनि साथ हो तो जल्द विधवा या विधुर हो। राहु साथ हो तो पति-पत्नी में अनबन हो

केतु साथ हो तो तलाक के योग बनें या जीवनसाथी को नुकसान हो। मंगल अष्टम में हो तो गुरु की राशि धनु में होगा। यह मांगलिक होगा। यहाँ मंगल उच्चाभिलाषी भी होगा। पत्नी या पति के पास धन अच्छा रहे क्योंकि जीवनसाथी भाव से द्वितीय धनभाव होगा। चंद्र साथ हो तो भाइयों से नहीं बने लेकिन भाई-बहन हों अवश्य। साझेदारी के कार्य से हानि हो।

सूर्य साथ हो तो अग्नि भय रहे। माता को कष्ट, पारिवारिक सुख में कमी रहे। बुध साथ हो तो आयु उत्तम हो, देव-धर्म में मृत्यु हो। शुक्र साथ हो तो परिश्रम अधिक करना पड़े स्वास्थ्य में गड़बड़ रहे। शनि साथ हो तो आयु तो हो लेकिन चोट या एक्सीडेंट के योग बनते रहें। राहु साथ हो तो पाइल्स का रोगी बनाती है। केतु साथ हो तो ऑपरेशन की नौबत आती है या एक्सीडेंट होते हैं।

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