ज्योतिष के अनुसार दुर्घटना का संबंध लग्न और लग्नेश से रहता है। लग्न जातक के स्वयं का होता है। लग्न में शुभ ग्रह होना चाहिए। अशुभ ग्रह हानि पहुंचाते हैं। शुभ ग्रह स्थित होने से और शुभ दृष्टि होने से सुरक्षा होती है। अकारक ग्रह या मारक ग्रह जब भी लग्न या लग्नेश पर गोचर करता है तब दुर्घटना होने के योग बनते है। अकारक ग्रह या मारक ग्रह की यदि दशा-अंतर्दशा चल रही हो, तो जातक को कष्ट और दुर्घटना होने के योग बनते है।
* ग्रह मंगल और शनि दुर्घटनाओं के योग बनाते हैं।
* लग्न या दूसरे घर में राहु और मंगल,
* 5वें भाव में मंगल या शनि दशा अवधि :12वां , 8वां, चौथा भाव की ग्रह की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, अवधि के दौरान दुर्घटना हो सकती है या अस्पताल में भर्ती हो सकते है, आदि जान सकते हैं।