लाइफ स्‍टाइल

ग़म से कहाँ ऎ इश्क़ मफ़र है रात कटी तो सुबहा का डर है
मैं कोई शे'र न भूले से कहूँगा तुझ पर फ़ायदा क्या जो मुकम्मल तेरी तहसीन न हो कैसे अल्फ़ाज़ के साँचे मे
जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतर ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर