हां, मैं बदल रहा हूं : ये जरूर पढ़ें आपकी जिंदगी और सोच बदल जाएगी
60 के करीब पंहुच गया हूं और मेरा एक दोस्त 60 पार कर गया और 65 की तरफ बढ़ रहा है। मैंने उससे पूछा कि क्या बदल रहा है? उसने मुझे ये पंक्तियां भेजी :
हां, मैं बदल रहा हूं
अपने माता-पिता, भाई-बहन, जीवनसाथी, बच्चों और दोस्तों से प्यार करने के बाद, अब मैं खुद से प्यार करने लगा हूं।
हां, मैं बदल रहा हूं
मुझे बस एहसास हुआ कि मैं "एटलस" नहीं हूं। दुनिया मेरे कंधों पर टिकी नहीं है।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैंने अब सब्जियों और फलवालों के साथ पैसों के लिए बहस बंद कर दी है। क्योंकि कुछ रुपए जेब से कम होने से मेरी जेब खाली नहीं हो जाएगी लेकिन इससे उस गरीब को अपनी बेटी की स्कूल फीस भरने में मदद मिल सकती है।
हां, मैं बदल रहा हूं
अब मैं खुले पैसे की चिकचिक के बिना टैक्सी ड्राइवर को पैसे देकर आगे बढ़ जाता हूं। थोड़ा सा भी अतिरिक्त पैसा उसके चेहरे पर मुस्कान ला देता है। क्योंकि वह जीने के लिए मेरे मुकाबले ज्यादा मेहनत कर रहा है।
हां, मैं बदल रहा हूं
अब मैं अपने बुजुर्गों को नहीं टोकता कि वे पहले भी इस कहानी को कई बार सुना चुके हैं। आखिर वह कहानी उन्हें अतीत के झरोखों में ले जाती है और उनके साथ कुछ देर के लिए मैं भी सैर कर आता हूं।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं सीख रहा हूं कि लोगों को नहीं सुधारना है जबकि मैं जानता हूं कि वे गलत हैं। आखिर हर किसी को 'परफैक्ट' बनाने का जिम्मा मेरा नहीं है। Peace is more precious than perfection.
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं खुले दिल से उदार मन से सबकी तारीफ करता हूं। यह व्यवहार न केवल सामने वाले व्यक्ति का बल्कि मेरा भी दिन और मूड फ्रेश करता है।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं सीख रहा हूं कि शर्ट पर क्रीज हो या धब्बे लग जाए तो परेशान नहीं होना है। आखिर मेरा व्यक्तित्व मेरे कपड़ों से ज्यादा महत्वपूर्ण और मुखर है।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं उन लोगों से दूर रहने लगा हूं जो मेरी कद्र नहीं करते, क्योंकि वे मेरी कीमत नहीं जानते, मेरी असली कीमत मैं ही जानता हूं।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं तब भी बहुत शांत रहता हूं जब कोई मुझे एक बेकार की प्रतिस्पर्धा(चूहा दौड़) में पछाड़ने के लिए गंदी राजनीति करता है। मैं जानता हूं कि मैं चूहा नहीं हूं और न ही मैं किसी दौड़ में शामिल हूं।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं अब सार्वजनिक रूप से अपने emotions को लेकर शर्मिंदा नहीं होता, क्योंकि मेरी भावनाएं ही मुझे इंसान बनाती हैं।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं सीख रहा हूं कि किसी रिश्ते को तोड़ने के बजाय अहंकार को छोड़ना बेहतर है। मेरा अहंकार मुझे एकदम अकेला कर देगा जबकि बेशकीमती रिश्तों मैं कभी अकेला नहीं रहूंगा।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैंने हर दिन, हर पलल हर क्षण को जीना सीख लिया है कुछ ऐसे जैसे यही मेरा आखिरी पल हो, हो सकता है कि सच में वह मेरा आखिरी पल ही हो।
हां, मैं बदल रहा हूं
मैं वही करता हूं जो मुझे खुश करता है। आखिरकार, अपनी खुशी के लिए मैं स्वयं जिम्मेदार हूं, मुझे खुश रखने का पहला दायित्व मेरा ही है किसी और का नहीं। मैं सच में खुश हूं और इसका पूरा श्रेय मुझे ही है।