2019 लोकसभा चुनाव के लिए अब चुनावी शोर पूरी तरह से थम चुका है। शुक्रवार शाम 6 बजे के बाद से देश के आठ राज्यों की 59 सीटों पर चुनाव प्रचार खत्म होने के साथ ही अब सबकी निगाह 23 मई की तारीख पर लग गई है। इस बार लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार अभियान कई मायनों में अहम रहा। देश भर में सात चरणों में हुए चुनाव में हर चरण में एक नया मुद्दा हावी होता दिखा। चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं ने भी व्यक्तिगत हमले किए और सभी परंपरा और मर्यादा को ताक पर रख दिया। सात चरणों के चुनाव प्रचार में कौन से सात मुद्दे ऐसे रहे जिनके आसपास पूरा चुनाव प्रचार घूमता रहा, पढ़िये वेबदुनिया की खास रिपोर्ट
1. राष्ट्रवाद – लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार जिस मुद्दे को सबसे अधिक उठाया है वो था राष्ट्रवाद का मुद्दा। पार्टी पूरा चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ती हुई दिखाई दी। चुनाव के समय पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की सीमा में भारत की एयर स्ट्राइक के मुद्दे को भाजपा ने जमकर चुनावी मंच पर भुनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने लातूर में अपनी चुनावी रैली में पहली बार पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों को याद करते हुए पहली बार वोट डालने वाले युवाओं से उनके लिए वोट डालने की अपील की। इसके साथ ही भाजपा के सभी नेता अपने चुनावी मंचों पर लोगों को भरोसा दिलाते रहे कि देश प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में ही सुरक्षित है।
2. राफेल – भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने राफेल का मुद्दा पूरे चुनाव में जोर शोर से उठाया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में अपने हर मंच से राफेल का मुद्दा उठाकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी को कठघरे में खड़ा किया। राहुल गांधी ने राफेल को मुद्दा बनाते हुए पूरी खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीधे मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए, चौकीदार चोर के नारे से अपना जो चुनावी कैंपन शुरू किया वो राहुल की आखिरी चुनावी सभा तक जारी रहा। राहुल ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव को लेकर जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की उसमें भी चौकीदार चोर के नारे का जिक्र किया। वहीं भाजपा पूरे चुनाव के दौरान राफेल के मुद्दे पर बात करने से बचती नजर आई।
3. हिंदुत्व – लोकसभा चुनाव में बंगाल से लेकर भोपाल तक हिंदुत्व का मुद्दा छाया रहा है। भाजपा बंगाल में जय श्री राम के नारे के सहारे हिंदू वोट बैंक में सेंध लगा कर अपनी नई सियासी जमीन की तलाश करती हुई दिखाई दी तो दूसरी ओर भोपाल में कांग्रेस के बड़े चेहरे दिग्विजय सिंह के खिलाफ मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में आरोपी और हिंदुत्व की फायर ब्रांड नेता माने जानी वाली वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को टिकट देकर पूरे चुनाव को दिलचस्प बना दिया। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह का हिंदुत्व शब्द मेरी डिक्शनरी में नहीं होने के बयान ने भी चुनावी आग में घी का काम किया और भाजपा ने इसको हाथों हाथ लपक लिया। इसके साथ ही भगवा आतंकवाद का मुद्दा भी पूरे चुनाव में जोर शोर से छाया रहा।
4. मोदी बनाम राहुल – 2014 की तरह इस बार भी सत्तारूढ़ दल भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहारे ही चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश करती हुई दिखाई दी। भाजपा का पूरा चुनाव प्रचार अभियान फिर एक बार मोदी सरकार और मोदी है तो मुमकिन है, जैसे नारों के सहारे लड़ा तो दूसरी ओर राहुल गांधी अकेले ऐसे नेता दिखाई दिए जिन्होंने पूरे चुनाव अभियान में केवल नरेंद्र मोदी की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा किया।
5. राजीव गांधी से महात्मा गांधी तक बने चुनावी मुद्दा – 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में राजीव गांधी से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक का नाम चुनाव प्रचार में आ गया। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर कटघरे में खड़ा किया तो आखिरी दौर के वोटिंग से दो दिन पहले भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड़से को देशभक्त बताकर सियासी बवाल खड़ा कर दिया। बवाल इतना बढ़ा किया कि सीधे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सामने आकर सफाई देनी पड़ी, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को काफी भी माफ नहीं करने की बात कह डाली।
6. किसान और कर्जमाफी – लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जो जीत हासिल की थी, उसको भुनाने के लिए कांग्रेस ने कर्जमाफी के मुद्दे को जोर शोर से पूरे चुनाव प्रचार में चुनावी मंच पर उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जहां पूरे देश में अपनी सभाओं के मंच से मध्य प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी का जिक्र करते हुए लोगों को ये भरोसा दिलाया कि कांग्रेस जो भी चुनावी वादे कर रहे है उसको पूरा करेगी। वहीं भाजपा की तरफ से मोदी और अमित शाह समेत पार्टी के नेता कर्जमाफी को किसानों के साथ छलावा बताते रहे। इसके साथ ही किसान वोट बैंक को साधने के लिए मोदी सरकार ने किसानों के खाते में सीधे पैसा डाला तो कांग्रेस ने वादा किया कि सत्ता में आने पर वो न्याय योजना के माध्यम से लोगों को पैसा देगी।
7. विकास और रोजगार का मुद्दा – 2019 के लोकसभा चुनाव में लोगों से जुड़े दो मुद्दे उठाए गए, वो रोजगार और विकास का मुद्दा था। युवा वोटरों को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने रोजगार के मुद्दे को अपने अपने तरीके से उठाया। भाजपा ने जहां मोदी सरकार की रोजगारन्मुखी योजनाओं का जिक्र करते हुए युवा वोट बैंक को साधने की कोशिश की तो कांग्रेस ने नोटबंदी और जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा कि इससे लाखों लोगों का रोजगार छिन गया और उनके सामने आज रोजी रोटी का संकट हो गया है।