नई दिल्ली। बीते पांच साल में भाजपा नेतृत्व जिस संक्रमण से गुजरा है उसका अक्स उसके घोषणा पत्र में बरबस ही देखा जा सकता है। इस साल हो रहे चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र के कवर पेज पर केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही दिख रहे हैं, जबकि साल 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी सहित दस दूसरे नेताओं के फोटो इसकी शोभा बढ़ा रहे थे।
वाजपेयी का फोटो अब पार्टी के प्रमुख विचारक रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय के साथ आखिरी पन्ने पर है। साल 2014 के घोषणा पत्र में ये लोग दूसरे पन्ने पर थे। मोदी के अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वित्तमंत्री अरुण जेटली सहित समकालीन नेताओं की तस्वीरें 2014 के घोषणा पत्र में शामिल थीं, पर अब 2019 में वे गायब हो गई हैं।
जिन दिग्गज नेताओं आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया है, वे भी भाजपा के 2014 के घोषणा पत्र में प्रमुखता से दिखाई दिए थे। जहां तक घोषणा पत्र की भाषा और लहजे की बात है, यह वर्तमान और पिछले घोषणा पत्र, दोनों में समान ही है, और राम मंदिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता जैसे विवादास्पद मुद्दों पर पार्टी अपने पुराने रुख पर कायम है।
इस वर्ष पार्टी के घोषणा पत्र में गाय गायब है, हालांकि इसमें गौशालाओं का उल्लेख है। 2014 में पार्टी ने गाय का उल्लेख राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के साथ सांस्कृतिक विरासत के अध्याय के तहत किया था। 2014 के घोषणा पत्र के विपरीत, जहां उसने अल्पसंख्यकों के लिए उपायों का वादा किया था, इस वर्ष के दस्तावेज में केवल उनका संक्षिप्त उल्लेख है।