नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने 19 मई को चुनाव समाप्त होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक की रिलीज का विरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा है कि यह (बायोपिक) एक संतचरित है, जिसमें विषय के प्रति अनावश्यक भक्ति दिखाई गई है और चुनाव प्रचार के दौरान इसकी सार्वजनिक स्क्रीनिंग चुनावी संतुलन को एक ओर झुका देगी।
आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि ‘बायोपिक’ में एक ऐसा राजनीतिक माहौल तैयार किया गया है, जिसमें एक व्यक्ति की महिमा का गुणगान किया गया है और चुनाव आचार संहिता लागू रहने के दौरान इसकी सार्वजनिक स्क्रीनिंग एक खास राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुंचाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बायोपिक एक जीवनी से कहीं अधिक आगे है और यह एक संतचरित (जो विषय को संत के तौर पर पेश करता है और उसे अनावश्यक सम्मान देता है) और फिल्म की रचना पूरी तरह से एक ही दिशा में है जो एक व्यक्ति को चिह्नों, नारों और दृश्यों के इस्तेमाल के जरिए बहुत ऊंचा दर्जा प्रदान करता है।
न्यायालय ने चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट 135 मिनट की इस फिल्म के निर्माता को मुहैया करने का आदेश दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है, 'पीएम नरेंद्र मोदी फिल्म की पब्लिक स्क्रीनिंग की इजाजत चुनाव के आखिरी दिन 19 मई तक नहीं देनी चाहिए।' (भाषा)