अगर उत्तर भारत के राज्यों की बात करें तो बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों में भाजपा की सीटें कम होती दिख रही हैं। एनके सिंह कहते हैं कि इस बार भाजपा और कांग्रेस में से जो भी पार्टी बड़े दल के रूप में सामने आती है, उसके साथ दक्षिण की पर्टियां साथ आने को तैयार खड़ी हैं।
तेलंगाना में केसीआर या आंध्र में जगन मोहन रेड्डी हों या उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हों, सभी केंद्र में नई सरकार में भागीदारी करने को तैयार दिख रहे हैं। नतीजे आने के बाद एनडीए में और क्षेत्रीय पार्टियां जुड़ सकती हैं और दूसरी ओर कांग्रेस के साथ लेफ्ट फ्रंट के दल आने को तैयार दिख रहे है। साउथ का काफी ज्यादा महत्व रहेगा।
मध्यप्रदेश के बारे में एनके सिंह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस जो कि 15 साल बाद सत्ता में वापस आई है, उसको निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा। मध्य प्रदेश में जो फिजा 5 महीने पहले थी, वही अब भी बरकरार है।