इटावा। लोकसभा चुनाव की खुमारी में डूबे उत्तर प्रदेश में समाजवादी गढ इटावा ससंदीय सीट पर मियां बीबी के बीच रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है। इटावा में सपा के पूर्व सांसद प्रेमदास कठेरिया के बेटे और गठबंधन प्रत्याशी कमलेश कठेरिया के सामने उनकी पत्नी पूजा कठेरिया ने ताल ठोक दी है।
शुक्रवार को नाम वापसी का आखिरी दिन पूजा ने नाम वापस नहीं लिया। नामांकन कराते समय पूजा ने कहा था कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का हक है।
प्रेमदास कठेरिया सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के करीबियों में गिने जाते हैं। उनके खास होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इटावा संसदीय सीट सुरक्षित होने पर उन्हीं को सपा ने लोकसभा का टिकट दिया था।
पिछले चुनाव में उन्हें करीब पौने दो लाख मतों से शिकस्त मिली तो बेटे कमलेश को विरासत सौंपकर सक्रिय राजनीति से किनारा कर लिया। 2014 के संसदीय चुनाव मे कलमेश कठेरिया के पिता प्रेमदास कठेरिया ने सपा की ओर से भाजपा प्रत्याशी अशोक दोहरे का मुकाबला किया था लेकिन मोदी लहर मे प्रेमदास कठेरिया 172946 मतों से हार गए थे।
32 वर्षीय कमलेश इससे पहले 2017 विधानसभा चुनाव में इटावा की भरथना सीट से मैदान में उतरे थे। भाजपा प्रत्याशी सावित्री कठेरिया ने कड़े संघर्ष में 1968 वोट पराजित कर दिया था।
इस बार लोकसभा चुनाव में सपा ने फिर प्रेमदास के परिवार पर ही भरोसा जताया। कमलेश सपा के टिकट पर मैदान में हैं लेकिन उनके सामने पत्नी पूजा कठेरिया ने भी नामांकन करा दिया। पहले उम्मीद थी कि पूजा नाम वापस ले लेंगी लेकिन नाम वापसी के अंतिम दिन भी उन्होंने पर्चा वापस नहीं लिया।
सपा प्रत्याशी कमलेश कठेरिया ने कहा कि मुझे पता नहीं है कि पूजा ने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन किया है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस तरह की नामांकन पहले भी होते रहे हैं। प्रत्याशी कई तरह के लाभ लेने के लिए अपने किसी परिजन का नामांकन करा देते हैं।
वैसे इटावा संसदीय सीट पर भाजपा से एससी एसटी आयोग अध्यक्ष डॉ.रामशंकर कठेरिया, काग्रेंस से मौजूदा सांसद अशोक दोहरे और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से संभू दयाल दोहरे समेत चुनाव मैदान 13 उम्मीदवार उतरे हुए हैं। (वार्ता)
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