उन्होंने कहा कि कल तक मेरे मन में दो स्थिति थी, एकतरफ इस अभिनंदन समारोह में जाऊं या नहीं, क्योंकि वहां कर्तव्य जुड़ा था, दूसरी तरफ उन लोगों के प्रति करुणा थी जिनकी सूरत में मृत्यु हो गई। जिन परिवारों ने इस त्रासदी में अपने बच्चों को खोया है, उनका दर्द कोई भी शब्द कम नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरफ यह भी था, मुझे कर्तव्य के तौर पर राज्य के लोगों को धन्यवाद देना था और अपनी मां का आशीर्वाद लेना था।