बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने चार लोग अपने आप में खास हैं। भाजपा ने प्रधानमंत्री के प्रस्तावक के लिए जिन चार लोगों को चुना वो समाज के विभिन्न वर्गों से आते हैं। प्रधानमंत्री के प्रस्तावक बने चारों लोग कई मायनों में खास है। प्रस्तावकों में बनारस की पहचान मदन मोहन मालवीय की मानस पुत्री से लेकर बनारस के डोम राजा तक शामिल हैं।
मोदी के प्रस्तावक में बनारस के डोम राजा जगदीश चौधरी, अन्नपूर्णा शुक्ला, सुभाष गुप्ता और रमाशंकर पटेल भी शामिल हैं। भाजपा ने एक बार फिर प्रस्तावकों के जरिए सामजिक और जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है...
अन्नपूर्णा शुक्ला - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावक बनी अन्नपूर्णा शुक्ला मदन मोहन मालवीय की मानस पुत्री हैं। मालवीय बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्थापक हैं, जिससे पूरे बनारस की पहचना विश्व में होती है। प्रधानमंत्री ने अपना नामांकन दाखिल करने से पहले अन्नपूर्णा शुक्ला के पैर भी छुए।
डोम राजा जगदीश चौधरी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक बनारस के डोम राजा जगदीश चौधरी भी हैं। चौधरी को डोम राजा के नाम से बनारस सहित पूरे पूर्वाचल में पहचाना जाता है। चौधरी का परिवार कई पीढ़ियों से मणिकार्णिका घाट पर शवों का दाह संस्कार कर रहा है। जगदीश को पूर्वांचल में काफी सम्मानीय माना जाता है। जगदीश चौधरी कहते हैं बनारस से इस बार प्रधानमंत्री मोदी ऐतिहासिक जीत दर्ज करेंगे।
सुभाष गुप्ता - शहर के हुकुलगंज इलाके में रहने वाल संघ के पुराने कार्यकर्ता सुभाष गुप्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक बने हैं। सुभाष गुप्ता की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी है। वहीं गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम केवल एक उम्मीदवार के साथ प्रधानमंत्री के प्रस्तावक बने इसका हमें गर्व है।
रमाशंकर पटेल - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक बने रमाशंकर पटेल ICAR के वैज्ञानिक हैं। भाजपा ने रमाशंकर पटेल को प्रधानमंत्री मोदी का प्रस्तावक बनाकर एक तरह से पटेल समुदाय के वोटरों को साधने की कोशिश की है। पूर्वाचल में आने वाली 13 लोकसभा सीटों में से पिछले चुनाव मे भाजपा को अपने दम पर 11 सीटों पर कब्जा जमाया था, वहीं एक सीट उसके सहयोगी अपना दल को मिली थी।
पूर्वांचल की केवल एक सीट आजमगढ़ पर समाजवादी पार्टी के नेता मुलायमसिंह यादव जीत हासिल कर सके थे। पूर्वांचल की करीब आठ लोकसभा सीटों पर पटेल वोट वोट दस फीसदी के करीब है, जो भाजपा के लिए काफी अहम है। पटेल वोटों में खासी पकड़ रखने वाले अपना दल इस बार भी लोकसभा चुनाव में एनडीए के सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ रहा है।