स्वामी विवेकानंद 132 वर्ष पहले इसी स्थान पर तैरकर पहुंचे थे। 1892 में यहां उन्होंने 25 से 27 दिसंबर तक लगातार 3 दिन ध्यान किया था। इसके बाद ही उन्हें भारत माता की दिव्य अवधारणा की अनुभूति हुई थी। यहीं उन्होंने विकसित भारत का सपना देखा था। इस वजह से इस स्थान का नाम विवेकानंद रॉक नाम पड़ गया। बाद में आरएसएस के सरकार्यवाह एकनाथ रानाडे ने सभी राज्यों के सहयोग से यहां पर विवेकानंद स्मारक मंदिर का निर्माण किया।