कम्युनिस्ट गढ़ में भाजपा के झंडे

दीपक रस्तोगी

पश्चिम बंगाल में पहले चरण का चुनाव नजदीक आने के साथ ही वाम मोर्चा ने उत्तरी हिस्से के दार्जिलिंग (पहाड़), तराई और दुआर्स में पूरी ताकत झोंक दी है। वामो के तमाम बड़े नेताओं ने जनसभाएँ और रोड शो के साथ ही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) और भाजपा पर हमले तेज कर दिए। 26 अप्रैल को सिलीगुड़ी में महारैली की तैयारी है।

दरअसल, इन इलाकों में वाम मोर्चा की प्रतिष्ठा दाँव पर है। चुनावी मौसम के शुरुआती दिनों में वाम मोर्चा उत्तर की चार सीटों को लेकर निश्चिंत था। लेकिन, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा द्वारा भाजपा के कद्दावर नेता जसवंतसिंह को दार्जिलिंग सीट पर ले आए जाने से स्थितियों ने अचानक करवट ली है।

गोरखाओं को पहचान दिलाने के नाम पर गुरुंग अपनी ताकत का इजहार कर रहे हैं। उनके बल पर भाजपा के झंडे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ माने जाने वाले इन इलाकों में लहराने लगे।

दार्जिलिंग के अलावा अलीपुरदुआर, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी लोकसभा सीटों के गोरखा और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जनमुक्ति मोर्चा के साथ भारतीय जनता पार्टी के झंडे दिखने लगे हैं।

गोरखा मोर्चा और भाजपा ने चाय बागान इलाके के आदिवासियों पर प्रभाव डालने के लिए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, महात्मा गाँधी, भगवान बिरसा मुंडा और खुद विमल गुरुंग के पोस्टर और कटआउट लगा रखे हैं।

आदिवासियों के संगठन 'अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद' (एबीएवीपी) ने इलाके में वोट बहिष्कार की घोषणा कर रखी है।

खुद मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने आदिवासी नेताओं से बायकॉट की घोषणा वापस लेने की अपील की। किंतु, इसका कोई असर नहीं हुआ। आदिवासियों की माँग है कि अलीपुरदुआर और जलपाईगुड़ी के इलाकों को मिलाकर उनके लिए स्वायत्तशासी परिषद बनाई जाए।

दार्जीलिंग के पास के बंगाली बहुल हिल स्टेशन मिरिक में उम्मीदवार जीवेश राय के समर्थन में आयोजित जनसभा में भट्टाचार्य ने कांग्रेस के उम्मीदवार दावा नरबूला को जमकर कोसा। हालाँकि, नरबूला खुद को असली गोरखाली बताते हुए प्रचार में जुटे हैं और वादा कर रहे हैं कि कांग्रेस के एजेंडे के अनुसार पहाड़वासियों के स्वायत्त परिषद को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिलवाएँगे।

दूसरी ओर, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के लिए अलग राज्य से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। जसवंतसिंह अलग राज्य के मुद्दे को जमकर हवा दे रहे हैं। इसी शर्त पर गोरखा नेता उन्हें ले भी आए हैं। गोरखाओं के गढ़ कर्सियांग में पिछले पखवारे की जनसभा में सिंह ने साफ ऐलान किया कि वे इस मुद्दे को दिल्ली तक ले जाएँगे।

कूचबिहार सीट पर अलग कामतापुरी राज्य की माँग कर रही कामतापुरी पीपुल्स पार्टी ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा से हाथ मिला लिया है। वे लोग भी भाजपा का साथ दे रहे हैं।

कूचबिहार के दीनहाटा इलाके में गुरुंग एक जनसभा भी कर चुके हैं। फॉरवर्ड ब्लॉक का गढ़ रहे दीनहाटा में इस तरह की घटनाएँ वाम मोर्चा के लिए चौंकाने वाली हैं।

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