पतले धागे से भी मजबूत रहते हैं रिश्ते

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हलो दोस्तो! ऐसा लगता है, जीवन कड़वाहट का दूसरा नाम है। आप चाहे जितनी भी कोशिश कर लें पर कड़वे तजुर्बों की श्रृंखला लंबी ही होती जाती है। किसी भी रिश्ते में सच्ची भावना की कोई कद्र ही नहीं रह गई है। सारे रिश्ते इतने आत्मकेंद्रित हो गए हैं कि कोई भी किसी दूसरे के दृष्टिकोण से कुछ सोचना ही नहीं चाहता है।

कई बार मां-बाप भी अपनी जिद के कारण बच्चे को इस कदर नियंत्रित करते हैं वे जान देने को मजबूर हो जाते हैं। यदि वे आत्महत्या न भी करें तो कई किस्म की मानसिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं और बचपन से मिला तनाव शारीरिक बीमारियों की बुनियाद बन जाता है, यह कौन नहीं जानता। जब मां-बाप को अपनी बच्चे की बर्बादी पर तरस नहीं आता तो किसी दूसरे रिश्ते से क्या उम्मीद की जा सकती है?

ऐसे ही कड़वे तजुर्बों से प्रकाश (बदला हुआ नाम) गुजर रहे हैं। उसकी दोस्त रीना (बदला हुआ नाम) उसके हर व्यवहार का गलत मतलब निकालती है। भरोसा दिलाने का उसका हर प्रयास बेकार हो जाता है। एक दिन अच्छा बीतता नहीं है कि दूसरे ही दिन वह नए शक को जन्म दे देती है। प्रकाश के साथ वह इतना झगड़ा करती है कि सामान्य रूप से उसका जीना नामुमकिन हो गया है। उसे लगता है, यह रिश्ता अब प्यार का नहीं बल्कि दया का बन गया है क्योंकि दयनीयता ही अब अधिक प्रबल हो उठी है।

प्रकाश जी, जब रिश्ते में प्यार और सुकून से ज्यादा तनाव हो और फिर भी आप उसे तोड़ न पाएं तो उसका आधार दयनीयता ही हो जाती है। आप रीना पर दया ही कर रहे हैं क्योंकि आप जानते हैं कि रीना अकेली है और उसका बचपन बेहद तनाव व अविश्वास के माहौल में बीता है। आपको उसके बारे में यह सच्चाई मालूम है कि उसके मां-बाप के बीच अलगाव होने के कारण दोनों ने ही उसके मन में एक-दूसरे के खिलाफ जहर भरा है। अब वह किसी पर भी सामान्य रूप से भरोसा नहीं करती है। या तो वह आंखें बंद कर विश्वास करती है या फिर बिल्कुल ही अविश्वास करने लगती है।

प्रकाश जी, आपका सोचना बिल्कुल सही है। ऐसे व्यक्तित्व के साथ प्रेम धीरे-धीरे रहम का रूप ही ले लेता है। रीना की शख्यिसत को अब सुधारना बहुत मुश्किल है। एक बच्चा विश्वास, भरोसे जैसी भावनाओं की शिक्षा अपने पेरेंट्स से ही लेता है। जिस मां या बाप के प्यार पर उसे अथाह आस्था व विश्वास हो उसी पर दूसरा चोट करता रहे, झूठा साबित करता रहे तो उसका यकीन हर किसी पर से उठ जाता है। वह यह मान लेता है कि दुनिया में कोई भी उसका सच्चा हितैषी हो ही नहीं सकता है। उसे लगता है कि हर कोई केवल स्वार्थ ही जुड़ा हुआ है। फिर ऐसे लोगों को जितना भी कोई सच्चा प्यार दे उसे महसूस करने की शक्ति उनमें नहीं होती।

ऐसे लोग सच्चा प्यार मिलने पर भी सच्चे प्यार की तलाश में भटकते फिरेंगे और कभी भी उसे सुकून भरी जिंदगी नहीं मिल सकती है। ऐसे लोग केवल खुद ही परेशान नहीं रहते बल्कि जो उनसे जितने गहरे जुड़े होते हैं उनका भी जीना हराम कर देते हैं। जो भी उनके करीब हैं उन सबको तनाव में डालने पर ही उनको चैन आता है इसीलिए रीना के असामान्य व्यवहार से आप इतने उद्वेलित न हों।

आप इस बात से परेशान हैं कि आपका जीवन सामान्य नहीं रह गया है और आप अपने कैरियर पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं। आपको यह खयाल भी आता है कि यदि आपने उससे नाता ता़ेडा तो उसकी स्थिति और भी दयनीय हो जाएगी। आप उसे संभलने और मजबूत होने में मदद करना चाहते हैं वरना वह और भी टूट जाएगी। आपका सोचना सही है पर आप चाहते हैं कि उसके असामान्य भावनात्मक दौरे का आप पर असर न हो। इसका एक ही तरीका है कि आप पास रहकर भी थोड़ी दूरी यानी डिटेच्ड रहें। आप अपने आपको उससे डिटेच्ड रखेंगे तो सब कुछ आसान हो जाएगा। अपने आपको थोड़ा डिटैच रखकर अपना होश-हवास बरकरार रखना बेहद जरूरी है। आप जितने सामान्य रहेंगे उतना ही आप उसे भी मदद कर पाएंगे।

यदि आपका कैरियर एवं व्यक्तित्व सब कमजोर होता जाएगा तो आप उससे एक दिन नफरत करने लगेंगे। उसे आप अगर सही मायने में लंबे समय तक सच्ची सहानुभूति व सहारा देना चाहते हैं तो अपने आपको बचाएं। यदि आपकी सेहत और आपका कैरियर बर्बाद हुआ तो आप उसे माफ नहीं करेंगे और देखते ही देखते यह दोस्ती दुश्मनी में बदल जाएगी। आपके तटस्थ रहने से वह भी जीवन जीना सीख पाएगी। हर रिश्ते में थोड़ी औपचारिक दूरी बेहद जरूरी है।

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