प्रेम के साथ बढ़ाएँ आत्मविश्वास

मानसी

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हेलदोस्तो! अतीत को अपने आपसे दूर भगाना इतना आसान नहीं होता। चाहे वह बुरा हो या फिर अच्छा। भावनात्मक इतिहास की नींव इतनी गहरी होती है कि उसे संपूर्ण रूप से उखाड़ फेंकना असंभव-सा लगता है। नए फैसले और नई दुनिया में प्रवेश करने के बावजूद कदम-कदम पर पुरानी स्मृतियाँ आपको विचलित करती रहती हैं।

जिस नए रंग-ढंग को आप अपनाना चाहते हैं उस पर पुरानी यादें संकोच व दुविधा पैदा करती हैं। हर समय एक तुलनात्मक विचार मन में चलता रहता है जो आपको संदेह में बाँधे रहता है और जिस कारण सारा नया उत्साह फीका पड़ जाता है। मन में खुशी व उमंग होते हुए भी भीतर उदासी- सी रहती है। मन माँगी मुराद पाकर भी सब कुछ अधूरा सा प्रतीत होता है।

अपनी खुशियों भरे चमन में कुछ ऐसा ही उजाड़पन को महसूस कर रही हैं सीमा (बदला हुआ नाम)। सीमा अपने पति से अलग होकर अनिरुद्ध के साथ रह रही हैं। सीमा अपने पहले पति से बहुत आतंकित रहती थीं। उसके दबंग व्यक्तित्व के कारण वह खुद को अस्तित्वहीन-सा महसूस करती थीं। उसका आत्मविश्वास कहीं लुप्त हो गया था। उसे अपने निर्णय पर पूरा भरोसा नहीं रहता था।

बिना किसी शारीरिक हिंसा के ही वह सहमी-सहमी सी रहती थीं। उसके अंदर जो भी खूबियाँ थीं वे उसे आत्मगौरव का एहसास नहीं कराती थीं। वह हमेशा खुद को दबी-कुचली सी महसूस करती थीं। पर ये बातें वह किसी से बाँटना नहीं चाहती थीं क्योंकि उसने अपनी मर्जी से प्रेम विवाह किया था।

अब शादी टूट चुकी है और सीमा ने एक पुराने दोस्त से शादी कर नया संसार बसा लिया है। सीमा का नया पति वैसा ही है जैसा वह जीवनसाथी के बारे में सपने संजोती थी। वह सीमा के हर निर्णय को एहमियत देता है। अपने हर फैसले में उसकी राय लेता है। उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए उससे थोड़ी दूरी भी बनाकर रखता है। उसके व्यक्तित्व को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ज्यादा दखलअंदाजी नहीं करता है।

पर सीमा इन्हीं आदतों के कारण परेशान हो जाती है। उसे लगता है, शायद अनिरुद्ध उससे लगाव महसूस नहीं करता। शायद वह प्यार नहीं करता है। वह जो चाहती है, वैसा करने देने से उसे लगता है, शायद उसे उससे कोई मतलब नहीं रहा। उसके बार-बार कुछ पूछने पर जब यह जवाब मिलता है कि जो उचित लगता है, करो, वह घबरा जाती है कि कहीं उसे उसमें रुचि नहीं रही है। वह डरती है कि कहीं वह ऊब न गया हो।

पर उसका यह डर उस वक्त बेमानी हो जाता है जब उसे सही मायने में अपने पति के साथ व मदद की जरूरत महसूस होती है। ऐसे मौके पर वह पूरी शक्ति और दिल से उसके साथ खड़ा होता है। उसकी देखभाल करता है। उसकी छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखता है। लेकिन इन सबके बावजूद वह पूरी तरह आश्वस्त महसूस नहीं करती है।

सीमा जी, आपके डरने की कोई वजह जाहिर तौर पर नहीं दिखती है। दरअसल, आपके पति अनिरुद्ध बहुत ही परिपक्व व्यक्तित्व वाले पुरुष हैं। पूर्व पति के बिल्कुल उलट, इसीलिए आप उनकी सहजता को बेरुखी मान बैठती हैं। एक सामान्य व्यवहार का हमारे ऊपर वैसा प्रभाव नहीं पड़ता जितना असामान्य व्यवहार का। असामान्य व्यवहार की छाया कई बार दिमाग में गहरी अंकित हो जाती है। नापसंद करते हुए भी व्यक्ति उसे ही भावनाओं को व्यक्त करने का आधार बना लेता है। वैसा नहीं होने पर उसे वह भावनात्मक अभिव्यक्ति अधूरी-सी लगती है।

जिस प्रकार किसी बच्चे को गलती करने पर माँ की झिड़की या थप्पड़ खाने की आदत हो जाए और कभी बड़ी भूल करने पर भी उसकी माँ उस प्रकार अपनी प्रतिक्रिया न दिखाए तो बच्चा खुश होने के बजाय यही सोचता रहेगा कि शायद अभी उसने ध्यान नहीं दिया है। बाद में हो सकता है बड़ी सजा मिले। वह माँ के बदले हुए अपने व्यवहार का मजा लेने के बजाय कई प्रकार की दुविधा में पड़ा रहता है।

जब भी वह माँ को देखेगा उसे वह घटना सताती रहेगी कि माँ किसी और बात में नाराज होकर पुरानी घटना का जिक्र करते हुए उसे डाँट न पिला दे। ऐसा होने के बाद उसे लगेगा उस गलती का हिसाब-किताब बराबर हो गया है फिर उसे चैन मिलेगा। आपने भी प्यार का मतलब जोर-जबर्दस्ती, दखलअंदाजी और शोरशराबा ही मान लिया है। जब ऐसा नहीं होता है तो आपको सब कुछ अधूरा-सा लगता है, हालाँकि आपकी चाहत हमेशा से सुकून तलाश रही है।

सीमा जी, नए व्यवहार की आदत भी आपको पड़ जाएगी और यही व्यवहार बराबरी के स्तर का है। आपके पति किसी पार्टी में भी आपको लोगों से मिलने-जुलने और अपनी अलग पहचान बनाने की सलाह देते हैं तो वह बहुत ही अच्छी बात है। वह आपको आत्मनिर्भर देखना चाहते हैं। अपनी पूंछ बनाकर रखना ही प्यार नहीं है।

आप अपनी दोस्तों को अपनी पहल पर बुलाएं। नए लोगों से संपर्क करें। अपने पति जैसे परिवार वालों से मिलें। जो कुछ आप करना चाहती हैं उसमें जी-जान से जुट जाएँ। आप में आया आत्मविश्वास पुराने भूत को धीरे-धीरे पीछे भगा देगा। अनिरुद्ध के साथ संवाद बनाएँ। किसी बात को दिल में घोटते रहने से बेहतर है उसे बोलकर खत्म कर देना।

जितना ज्यादा आप बातचीत करेंगी आपका व्यक्तित्व उतना सहज और सशक्त होता जाएगा। आप पुराने लोगों के बजाय नए लोगों से संपर्क बढ़ाएँ। आपके जीवन में इस प्रकार का बदलाव आपके मन में बसी पुरानी छवि से आपको निकाल देगा। आप नए जीवन का मजा ले पाएँगी।

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