Assembly Elections 2023 : रविवार को जिन 4 राज्यों में मतगणना हो रही है, उनके आंकड़ों से यह प्रदर्शित होता है कि इनमें से 3 प्रदेशों में 1 प्रतिशत से भी कम मतदाताओं ने हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों (assembly elections) में 'उपरोक्त में से कोई नहीं' (NOTA) का विकल्प चुना। निर्वाचन आयोग (Election Commission) की वेबसाइट से यह जानकारी मिली।
विधानसभा चुनाव 5 राज्यों में कराए गए हैं और मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना में मतगणना रविवार को हुई जबकि मिजोरम में मतगणना सोमवार को होगी। मध्यप्रदेश में हुए 77.15 प्रतिशत मतदान में से 0.98 प्रतिशत मतदाताओं ने 'नोटा' का विकल्प चुना। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में, 1.26 प्रतिशत मतदाताओं ने 'इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन' (ईवीएम) पर 'नोटा' का बटन दबाया।
तेलंगाना में, 0.73 प्रतिशत मतदाताओं ने 'नोटा' का विकल्प चुना। राज्य में 71.14 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसी तरह राजस्थान में 0.96 प्रतिशत मतदाताओं ने 'नोटा' का विकल्प चुना। राज्य में 74.62 प्रतिशत मतदान हुआ।
'नोटा' विकल्प पर बात करते हुए 'कंज्यूमर डेटा इंटेलीजेंस कंपनी' एक्सिस माय इंडिया के प्रदीप गुप्ता ने कहा कि 'नोटा' का इस्तेमाल .01 प्रतिशत से लेकर अधिकतम 2 प्रतिशत तक किया गया। उन्होंने कहा कि यदि कोई नई चीज शुरू की जाती है तो इसकी प्रभावकारिता इसके नतीजे पर निर्भर करती है।
उन्होंने कहा कि मैंने सरकार को इस बारे में पत्र लिखा था कि अगर नोटा को सही मायने में प्रभावी बनाना है तो अधिकतम संख्या में लोगों द्वारा इसका (नोटा का) बटन दबाए जाने पर नोटा को विजेता घोषित किया जाना चाहिए। गुप्ता भारत में अपनाए गए 'फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट' सिद्धांत का जिक्र कर रहे थे जिसमें सर्वाधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन उम्मीदवारों को जनता ने खारिज कर दिया है, उन्हें ऐसी स्थिति में चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जहां 'नोटा' को अन्य उम्मीदवारों से अधिक वोट पड़े हों। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो लोग नोटा विकल्प का सही उपयोग कर पाएंगे, अन्यथा यह एक औपचारिकता मात्र है। 'नोटा' का विकल्प 2013 में शुरू किया गया था।(भाषा)