- बृजेन्द्रसिंह झाला शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक ओर सरकार एक अप्रैल से शिक्षा सत्र शुरू करने जा रही है, वहीं माध्यमिक शिक्षा मंडल परीक्षा परिणाम घोषित करने की जल्दबाजी में प्रदेश के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। कॉपियों के मूल्यांकन के लिए बोर्ड द्वारा कुछ समय पूर्व शिविर लगाकर प्रदेश भर में शिक्षकों के पंजीयन किए गए थे। इन शिविरों में बड़ी मात्रा में शिक्षकों ने गलत जानकारी देकर पंजीयन कराया है। मूल्यांकन कार्य में लगे अनेक शिक्षक बोर्ड के नियमों के अनुसार अपात्र हैं।
नियम के मुताबिक बोर्ड की कॉपी जाँचने के लिए किसी भी शिक्षक को कम से कम पाँच वर्ष कक्षाओं में पढ़ाने का अनुभव होना चाहिए। इन नियमों को धता बताते हुए ऐसे शिक्षकों ने भी मूल्यांकन के लिए अपना पंजीयन कराया है, जो साल-दो साल पहले ही मिडिल स्कूल से पदोन्नात होकर माध्यमिक विद्यालयों में पहुँचे हैं। ऐसे शिक्षकों ने बोर्ड की कक्षा पढ़ाने का अपना अनुभव 5 से 15 साल लिखा है। इतना ही नहीं हिन्दी पढ़ाने वाले शिक्षकों का विज्ञान और गणित विषय में मूल्यांकन के लिए पंजीयन हुआ है।
झूठी जानकारी देकर पंजीयन : इसी प्रकार पिछली बार जिन शिक्षकों को मूल्यांकन में लापरवाही बरतने के कारण बोर्ड द्वारा अपात्र घोषित कर नोटिस जारी किए थे, ऐसे शिक्षकों ने भी शिविर में नवीन पंजीयन करा लिया है और अब वे धड़ल्ले से कॉपी जाँच रहे हैं। धार जिले में आयोजित शिविरों समेत अन्य शिविरों में भी सैकड़ों शिक्षकों ने झूठी जानकारी देकर पंजीयन कराया है। बोर्ड को लिखित शिकायत भी की गई है।
50-60 कॉपी रोज : एक शिक्षक ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि धन कमाने के जुनून में शिक्षक दायित्व भूल गए हैं। एक दिन में एक शिक्षक बोर्ड की 50-60 कॉपियाँ जाँच लेता है, वही शिक्षक आठवीं और नौवीं कक्षा की 15 से ज्यादा कॉपियाँ नहीं जाँचता। बोर्ड की कॉपियाँ जाँचने के लिए मूल्यांकनकर्ता को प्रति कॉपी 5 से 6 रुपए मिलते हैं, जबकि आठवीं कक्षा के लिए मात्र 1.75 रुपए मिलते हैं। इसके चलते आठवीं के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।
कड़ी कार्रवाई करेंगे : माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव कवीन्द्र कियावत का कहना है कि शिक्षकों द्वारा दी गई गलत जानकारी के लिए स्वयं शिक्षक अथवा संबंधित प्राचार्य जिम्मेदार हैं। यदि इस तरह की जानकारी सामने आती है तो संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उन्हें मूल्यांकन प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाएगा।
तब क्या होगा..? मूल्यांकन के दौरान अथवा बाद में यदि यह साबित हो जाता है कि अपात्र शिक्षक द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया गया था, तो क्या उसके द्वारा जाँची सैकड़ों कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन करवाया जाएगा? इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।